भारत के महान संगीतकार तानसेन का जीवन परिचय – Biography of Tansen

Biography of Tansen

तानसेन एक गायक और वादक थे जिन्होंने कई रागों की रचना की शुरू में रीवा राज्य के राजा रामचंद्र के दरबारी गायक थे ऐसा कहा जाता है कि सम्राट अकबर ने उनके असाधारण संगीत कौशल के बारे में जाने के बाद उन्हें अपना संगीतकार बनाया वह मुगल सम्राट अकबर के दरबार में नौ रत्नों में से एक बन गए तानसेन का जीवन कई कई कठिनाइयों से जुड़ा है सबसे आम में से कुछ सिर्फ अपने संगीत कौशल का उपयोग करके बारिश और आग पैदा करने की उनकी क्षमता है चलिए आज हम तानसेन के बारे में पूरी बात जानते हैं।

भारत के महान संगीतकार तानसेन का जीवन परिचय

भारत के महान संगीतकार तानसेन का जीवन परिचय - Biography of Tansen
Biography of Tansen

तानसेन का जन्म

तानसेन का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में साल 1506 को एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता मुकुंद मिश्रा एक प्रसिद्ध कवि और धनी व्यक्ति थे। तानसेन के जन्म के समय उनका नाम रामतनु था। एक बच्चे के रूप में तानसेन पक्षियों और जानवरों की पूरी तरह से नकल कर सकते थे। कहा जाता है कि वह बाघ और शेर जैसे जंगली जानवरों की नकल करके जंगलों से गुजरने वाले पुजारी और आम लोगों को डराया करते थे।तभी एक बार उन्हें प्रसिद्ध संत और संगीतकार स्वामी हरिदास ने देख लिया और उनके कौशल्य को पहचान कर उन्हें अपना शिष्य बनाने का निश्चय किया।

तानसेन की शिक्षा

Biography of Tansen

तानसेन ने स्वामी हरिदास के शिष्य के रूप में बहुत ही छोटी उम्र में अपनी संगीत यात्रा शुरू कर दी थी। उन्होंने अपने जीवन के अगले 10 वर्षों तक उनके अधीन संगीत का अध्ययन किया था। क्योंकि हरिदास गायन के ध्रुपद शैली के प्रतिपादक थे। तानसेन ने ध्रुपद के प्रति रुचि विकसित की और ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपने गुरु से सब कुछ सीख लिया था। और ऐसा कहा जाता है कि तानसेन ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद तानसेन के सामने संगीत वादन में कोई खड़ा नहीं रह सकता है।

गुरु हरिदास शिक्षा लेने के बाद तानसेन ने अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए मोहम्मद घौस से शिक्षा लेने का विचार किया। और अपने गुरु से आज्ञा लेकर वह मोहम्मद घौस के पास शिक्षा के लिए चला गया। तानसेन ने 3 वर्षों तक मोहम्मद घौस से शिक्षा ली। और अपनी संगीत प्रतिभा सुधारने लगे। मोहम्मद घौस उनको ग्वालियर के राजा के पास मिलवाने गए। तानसेन का अब ग्वालियर दरबार में आना-जाना लग गया। एक दिन दरबार में हुसैनी नामक महिला से मिले जिससे तानसेन को प्यार हो गया।

Biography of Tansen

तानसेन का विवाह

Biography of Tansen

तानसेन का परिचय राजा मानसिंह की विधवा पत्नी रानी मृगनयनी से हुआ रानी मृगनयनी भी बड़ी मधुर तथा विदुषी गायिका थी। तानसेन का गायन सुनकर बहुत प्रभावित हुई। उन्होंने अपने संगीत मंदिर में शिक्षा पाने वाली हुसैनी ब्राह्मण नामक एक सुमधूर गायिका लड़की के साथ तानसेन का विवाह कर दिया। हुसैनी का वास्तविक नाम प्रेमकुमारी था। हुसैनी के पिता सारस्वत ब्राह्मण थे। बाद में यह परिवार मुस्लिम धर्म में शिक्षित हो गए प्रेम कुमारी का इस्लामी ना हुसैनी रखा गया।

तानसेन की रचनाएं

Biography of Tansen

कहा जाता है कि संगीत में तानसेन के समक्ष कोई नहीं टिक पाता था। और ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपने संगीत के माध्यम से चमत्कार किए थे। ऐसा भी कहा जाता है कि तानसेन मेघ मल्हार राग गायक बारिश कराने की और दीपक राग गायक आग जलाने की क्षमता रखते थे। तानसेन कई रागों जैसे कि दरबारी कान्हडा,मियां की टोली, मियां की मल्हार और मियां की सारंग के रचयिता है। माना जाता है कि गायन की पद्धति ध्रुपद शैली तानसेन और उनके गुरु स्वामी हरिदास ने शुरू की थी।उन्होंने अपनी रचनाओं में ध्रुपद शैली का इस्तेमाल किया और अक्सर शिव, विष्णु और गणेश जैसे हिंदू देवताओं की स्तुति लिखी।  तानसेन संगीतसार और रागमाला नामक संगीत की दो महत्वपूर्ण कृतियों की रचना की। वे एक रहस्यवादी संगीतकार थे।

तानसेन का मकबरा

Biography of Tansen

तानसेन का मकबरा ग्वालियर में संत हजरत गौस के मकबरे के पास स्थित है, जिनकी शिक्षा से प्रभावित होकर उन्होंने इस्लाम धर्म को अपनाया था।। तानसेन के मकबरे के पास एक तामरिंद वृक्ष है, माना जाता है कि यह उतना ही पुराना है जितना की मकबरा। एक पौराणिक कथा के अनुसार कोई भी व्यक्ति इस तामरिंद के वृक्ष की पत्तियों को चबाता है तो उसे महान संगीतिक गुणों का आशीर्वाद मिलता है। तानसेन के वंशजों को ‘सेनिया घराना’ कहा जाता है।

 तानसेन की मृत्यु

Biography of The Tansen

संगीतकार तानसेन की मृत्यु सन 1586 में आगरा में हुई थी लेकिन इनकी मृत्यु की पूरी जानकारी स्पष्ट नहीं है चीन की मृत्यु कैसे और किस कारण की वजह से हुई थी।

 

 

 

 

 

 

 

दीवान ए खास का निर्माण और इतिहास – History of Diwan-e-Khas

History of Diwan-e-Khas

 

 

 

 

 

Exit mobile version