हिंदू धर्म में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है। हिंदू धर्म में गाय की पूजा एक माँ की तरह की जाती है और गाय को गौमाता कहा जाता है। आज हम जानेंगे कि आखिर क्यों गाय को गौ माता कहा जाता है।
Cow ko Mata Kyu Kaha Jata hai
प्राचीन समय से ही अन्य पालतू पशुओं की तुलना में गाय को अधिक महत्व दिया जाता है। हालांकि वर्तमान में परिदृश्य बदला है और गोधन को पालने का चलन कम हो गया है। लेकिन गाय के धार्मिक महत्व में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई है, बल्कि पिछले कुछ समय से तो गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने तक मांग उठने लगी है। गौहत्या को धार्मिक दृष्टि से ब्रह्म हत्या के समान माना जाता है। हाल ही में हरियाणा में तो गौहत्या पर सख्त कानून भी बनाया गया है। आइए जानते हैं गाय को माता का दर्जा क्यों दिया जाता है।
गाय को माता क्यों कहा जाता है – Cow ko Mata Kyu Kaha Jata hai
गाय का दूध पवित्र है
हर संस्कृति में, हर समाज में अकाल पडऩा सामान्य सी बात थी। हमारी संस्कृति में गावों में ऐसी मान्यता थी कि अगर आपके घर में गाय है तो अकाल की स्थिति में भी आपके बच्चे जीवित रहेंगे। सीधी सी बात थी कि अगर गाय नहीं है तो आपके बच्चे मर जाएंगे। जाहिर है, ऐसे में गाय मां के जैसी हो गई। जब हमारी मां हमें स्तनपान नहीं करा पाती थी और दूसरा भोजन हमें नहीं मिलता था तो गाय ही हमारे लिए मां की तरह होती थी। हम में से हर कोई किसी न किसी समय भोजन और पोषण के लिए गाय के दूध पर निर्भर रहा है। इसलिए गाय का दूध बहुत पवित्र बन गया, क्योंकि यह जीवन को पोषण देता है।
गाय को गौमाता क्यों कहा जाता है
आज के समय में भी समाज में गाय को गौमाता कहा जाता है। यदि हम शास्त्रों के अनुसार माने तो ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी तो सबसे पहले गाय को ही पृथ्वी पर भेजा था। सभी जानवरों में सिर्फ गाय ही एक ऐसा जानवर है जो मां शब्द का उच्चारण करता है। इसीलिए माना जाता है कि मां शब्द की उत्पत्ति भी गौमाता से हुई है। गाय हम सभी को एक पुत्र की तरह दूध पिलाती है और पालन-पोषण करती है गाय हमें दूध देती है, गाय के गोमूत्र के कई फायदे हैं और गाय के गोबर के कंडे का उपयोग हम ईंधन के रूप में करते हैं। इस तरह से देखा जाए तो गाय हमारे लिए बहुत ही उपयोगी पशु है। गाय के इतने सारे उपयोग होने के कारण ही गाय को एक मां का दर्जा दिया गया है। क्योंकि जिस तरह एक मां अपने बच्चों का लालन पोषण करती है उसी तरह गौमाता भी अपने बच्चों और हमारा लालन पोषण करती है हमें दूध देती है गोबर देती है गोमूत्र देती है।
गाय की छाया बड़ा शुभ है।
गाय के अंगों में सम्पूर्ण देवताओं का निवास बताया गया है। गाय की छाया भी बड़ी शुभ मानी गई है। यात्रा के समय गाय या सांड दाहिने आ जाए तो शुभ माना जाता है और उसके दर्शन से यात्रा सफल हो जाती है। दूध पिलाती गाय का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है। गाय के शरीर का स्पर्श करने वाली हवा भी पवित्र होती है। जहां गाय बैठती है, वहां की भूमि और गाय के चरणों की रज (धूल) भी पवित्र होती है।
गाय के शरीर में देवताओं का वास
भविष्य पुराण के अनुसार गौ माता के पृष्ठदेह यानी पीठ में ब्रह्मा निवास करते हैं तो गले में भगवान विष्णु विराजते हैं। भगवान शिव मुख में रहते हैं तो मध्य भाग में सभी देवताओं का वास है। गौ माता का रोम रोम महर्षियों का ठिकाना है तो पूछ का स्थान अनंत नाग का है, खूरो में सारे पर्वत समाए हैं तो गोमूत्र में गंगा सी पवित्र नदियां, गौमय जहां लक्ष्मी का निवास। तो माता के नेत्रों में सूर्य और चंद्र का वास है। कुल मिलाकर गाय को पृथ्वी, ब्राह्मण और देव का प्रतीक माना जाता है। प्राचीन समय में गौ दान सबसे बड़ा दान माना जाता था और गौ हत्या तो महापाप। यही कारण है कि वैदिक काल से ही हिंदू धर्म के मानने वाले गाय की पूजा करते आ रहे हैं। गाय की पूजा के लिए गोपाष्टमी का त्यौहार भी भारत भर में मनाया जाता है।
Cow ko Mata Kyu Kaha Jata hai
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1.गाय माता की उत्पत्ति कैसे हुई?
ऋषि वशिष्ठ से संबंधित खगोलीय गाय को देवताओं ने ब्रह्मांडीय महासागर के मंथन के द्वारा उत्पन्न किया था। वह सभी इच्छाओं को देने वाली है और इसलिए उसे बहुतायत की गाय कहा जाता है।
2.गाय के हाथ चाटने से क्या होता है?
जिस व्यक्ति का भाग्य साथ नहीं देता हो, वह अपने हाथ में गुड़ रखकर गाय को खिलाए। गाय की जीभ से हथेली चाटने पर भाग्य जाग जाता है। गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं। गौ माता के पंचगव्य के बिना पूजा पाठ हवन सफल नहीं होते।
3.हिन्दू गाय को माता क्यों मानते हैं?
सभी जानवरों में मात्र गाय ही ऐसा जानवर है जो मां शब्द का उच्चारण करता है, इसलिए माना जाता है कि मां शब्द की उत्पत्ति भी गौवंश से हुई है। गाय हम सब को मां की तरह अपने दूध से पालती-पोषती है। आयुर्वेद के अनुसार भी मां के दूध के बाद बच्चे के लिए सबसे फायदेमंद गाय का ही दूध होता है।
4.गौ माता को श्राप क्यों मिला?
माता सीता ने गाय को श्राप दिया कि घर में पूजा होने के बाद भी गाय को हमेशा जूठन खाना पड़ेगा। रामायण में भी इस कथा का जिक्र मिलता है।
5.एक गाय दूसरी गाय को क्यों चाटती है?
अलॉगरूमिंग, जिसमें आम तौर पर एक गाय दूसरे गाय के सिर और गर्दन के चारों ओर चाटती है, के बारे में माना जाता है कि यह कई सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति करती है । उदाहरण के लिए, सामाजिक संवारना एक समूह के सदस्यों के बीच व्यक्तिगत बंधन स्थापित करने का एक तरीका है और झुंड में समग्र सामाजिक सामंजस्य को भी बढ़ाता है।
6.गौ हत्या करने से क्या होता है?
अगर किसी से अज्ञानतावश गौ हत्या हो जाए तो वह व्यक्ति गौ सेवा करके पाप से मुक्ति पा सकता है। – गौ हत्या के पापी को नर्क भुगतना पड़ता है। इसलिए उपाय स्वरूप 7 गायों को गुड़ और मटर खिलाना चाहिए। – गौ हत्या के अपराधी को गोपाष्टमी की पूजा करनी चाहिए।
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