What Causes Earthquakes: भारत में हर साल कहीं ना कहीं भूकंप आने की सूचना मिलती है। और इससे कई लोगों को जान-माल का भी नुकसान होता है। कई इस की चपेट में आ जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भूकंप क्यों आता है? भूकंप क्या है? What Causes Earthquakes, भूकंप आने के पीछे क्या कारण है? भूकंप कैसे आता है? अगर नहीं जानते तो आज हम इस पोस्ट में आपको भूकंप क्या होता है, और भूकंप आने के पीछे क्या कारण है यह बताने जा रहे हैं।
दुनियाभर के अलग-अलग इलाकों में हर साल छोटे-बड़े भूकंप (Earthquake) आते ही रहते हैं. जानकारों का कहना है कि दुनियाभर में हर साल लगभग 20 हजार से ज्यादा बार भूकंप आते हैं. इनमें कुछ तो इतने मामूली होते हैं कि वो सिस्मोग्राफ पर दर्ज भी नही हो पाते हैं. वहीं, कुछ इतने शक्तिशाली होते हैं कि भयंकर तबाही मचा देते हैं. भूकंप आने का कारण धरती के भीतर की उथल-पुथल बताई जाती है. एक तथ्य ये भी है कि ये भूकंप के झटके लाखों की संख्या में होते हैं, लेकिन ज्यादातर झटके हल्के होने के कारण उनका पता नही लग पता है
भूकंप क्या होता है – What is Earthquakes
हमारी पृथ्वी प्रमुख तौर पर चार परतो से बनी है यानी इनर कोर (Inner core), आउटर कोर (outer core), मैटल क्रस्ट( Mantle crust)। क्राइस्ट सबसे ऊपरी परत होती है इसके बाद होता है मेंटल मेंटल यह दोनों मिलकर बनाते हैं लिथोस्फेयर। लिथोस्फेयर की मोटाई 50 किलोमीटर है जो अलग-अलग परतो वाली प्लेटो से मिलकर बनी है जिसे टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं।
धरती के अंदर 7 टेक्टोनिक प्लेट्स है। ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती है। जब ये प्लेट आपस में टकराती हैं, रगड़ती हैं, एक दूसरे के ऊपर चढ़ती या उनसे दूर हो जाती हैं तब जमीन हिलने लगती है इसे ही भूकंप कहते हैं। सीधी भाषा में कहें तो पृथ्वी के हलन चलन को भूकंप कहा जाता है। भूकंप को नापने के लिए रिक्टर पैमाने का इस्तेमाल करते हैं जिसे रिक्टर मेग्नीट्यूड स्केल कहते हैं।
भूकंप के मुख्यत: दो प्रकारों हैं
प्राकृतिक कारणों से आने वाले भूकंप
प्राकृतिक रूप से आने वाले भूकंप विवर्तनिक भूकंप भी कहलाते हैं क्योंकि ये पृथ्वी के विवर्तनिक गुण से संबंधित होते हैं। प्राकृतिक रूप से आने वाले अधिकतर भूकंप भ्रंश (फाल्ट) के साथ आते हैं। भ्रंश भूपटल में हलचल के कारण उत्पन्न होने वाली दरार या टूटन है। ये भ्रंश कुछ मिलीमीटर से कई हजार किलोमीटर तक लंबे हो सकते हैं। भूविज्ञान कालक्रम के दौरान अधिकतर भ्रंश दोहरे विस्थापनों का निर्माण करते हैं।
मानवीय गतिविधियों से प्रेरित भूकंप
मानवीय गतिविधियाँ भी भूकंप को प्रेरित कर सकती हैं। गहरे कुओं से तेल निकालना, गहरे कुओं में अपशिष्ट पदार्थ या कोई तरल भरना अथवा निकालना, जल की विशाल मात्रा को रखने वाले विशाल बांधों का निर्माण करना और नाभिकीय विस्फोट जैसी विनाशकारी घटना के समान गतिविधियाँ मानव प्रेरित भूकंप का कारण हो सकती हैं। कृत्रिम जलाशय के कारण आने वाले बड़े भूकंपों में से एक भूकंप सन् 1967 में महाराष्ट्र के कोयना क्षेत्र में आया था। भूकंप का कारण बनी एक और कुख्यात मानवीय गतिविधि संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलरेडो स्थित राकी माउटेंन पर डेनवेर क्षेत्र में तरल पदार्थ को गहरे कुओं में प्रवेश कराए जाने से संबंधित रही है।
भूकंप के क्या कारण है – what causes Earthquakes
ज्वालामुखी का विस्फोट
ज्वालामुखी विस्फोट किसी क्षेत्र में भूकंप होने का एक प्रमुख कारण हो सकता है। जब किसी क्षेत्र में ज्वालामुखी विस्फोट होता है तो उसका प्रभाव उस क्षेत्र के निकटवर्ती क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। ज्वालामुखी विस्फोट के कारण निकटवर्ती क्षेत्र की भूमि पर हलचल या कंपन उत्पन्न होता है। जिसे भूकंप कहा जाता है। ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव में आने वाले क्षेत्रों में भूकंप का प्रभाव अधिक और कम दोनों हो जाता है यह ज्वालामुखी के प्रकार पर निर्भर करता है।
भूमि असंतुलन।
भूमि की विभिन्न परतों के असंतुलन होने के कारण भी भूकंप की संभावना होती है। भूमि की ऊपरी सतह निचली सतह से हल्की होती है और यदि किसी क्षेत्र में इन दोनों सतहों में असंतुलन होने लगता है तो उस स्थान में कंपन के कारण भूमि कटाव आदि होने लगता है। जिसे भूकंप कहा जाता है। अतः भूमि के असंतुलन के कारण भी भूकंप आते हैं।
जलाशयों के भार।
नदियों पर बांध बनाकर बड़े-बड़े जलाशयों का निर्माण किया जाता है। जलाशयों में जल की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाने के कारण जल चट्टानों में अपना प्रभाव डालने लगता है। जिससे चट्टानों में दबाव बढ़ जाने के कारण उनकी स्थिति में परिवर्तन होने लगता है और इन परिवर्तनों से भूमि में हलचल होने लगती है जिससे तीव्र भूमि कंपन की संभावना रहती है।
पृथ्वी का सिकुड़ना।
पृथ्वी अपने जन्म के बाद से सिकुड़ रही है जिसकी वजह से इसकी विभिन्न परतों में भी कई परिवर्तन देखे जा सकते हैं। पृथ्वी की सतह सिकुड़ने पर वह अपनी अवस्था में परिवर्तित होने लगती है। और इससे भूमि के आंतरिक भाग में कंपन होने लगता है। जिससे ऊपरी सतह हिलने लगती है और भूमि कई खंडों में विभाजित होने लगती है। भूमिका कई खंडों में विभाजित होना भी कंपनी के कहलाता है।
भूकंप कैसे मापा जाता है ?
भूकंप की तीव्रता को मापने के दो तरीके होते हैं – परिमाण (Magnitude)और तीव्रता (Intensity). सिस्मिक वेव्स की तीव्रता को सिस्मिक ग्राफ्स के ज़रिये नापा जाता है. और इस ग्राफ का नाप रिक्टर स्केल के द्वारा लिया जाता है. वैसे तो रिक्टर स्केल की कोई आखिरी लिमिट नहीं है, पर इसपर भूकंप को 0 से 9 की रेंज में मापा जाता है. जो भूकंप 4.5 की रेंज से ज़्यादा के होते हैं, उन्हें विनाशकारी माना जाता है. और जो 7 से भी ऊपर रेंज के होते है, उनको बेहद विनाशकारी भूकंप घोषित कर देते है.
रिक्टर पैमाने पर तीव्रता प्रभाव
0 से 1.9 सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है।
2 से 2.9 हल्का कंपन।
3 से 3.9 कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा अहसास
4 से 4.9 खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं।
5 से 5.9 फर्नीचर हिल सकता है।
6 से 6.9 इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।
7 से 7.9 इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।
8 से 8.9 इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।
9 और उससे ज्यादा से पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखाई देगी। यदि समुद्र नजदीक हो तो सुनामी आने की पूर्ण आशंका।
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