हिंदू धर्म में स्त्रियों का मांग में सिंदूर सजाना सुहागिन होने का और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है मांग में सिंदूर भरने से पति की आयु बढ़ती है और स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है मांग में सिंदूर लगाने का प्रचलन कहां से आया और इसका धार्मिक या वैज्ञानिक कारण क्या है।
यह है धार्मिक महत्व
विवाहित महिलाओं द्वारा सिंदूर लगाने का एक कारण यह है कि इससे सुहागन स्त्री के सौन्दर्य में वृद्धि होती है। पौराणिक कथाओं में सिंदूर के लाल रंग के माध्यम से माता सती और पार्वती की ऊर्जा को व्यक्त किया गया है। बताया जाता है सिंदूर लगाने से माता पार्वती अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती हैं।
यह है वैज्ञानिक कारण
माना जाता है पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का ब्रह्मरंध्र अधिक संवेदनशील और कोमल होता है। सिंदूर में पारा धातु पाया जाता है, जिससे शरीर पर लगाने से विधुत ऊर्जा नियंत्रण होती है। इससे नकारात्मक शक्ति दूर रहती है। साथ ही सिंदूर लगाने से सिर में दर्द, अनिद्रा और अन्य मस्तिष्क से जुड़े रोग भी दूर होते हैं। विज्ञान के अनुसार, भी महिलाओं को विवाह के बाद सिंदूर अवश्य लगाना चाहिए।
सिंदूर लगाने के विभिन्न तरीके ।
आइए आज हम जानते है की सिंदूर लगाने का सही तरीका क्या है। हमारे देश में कई सारे डिफरेंट culture और religion के लोग है और हर religion के अलग अलग तरीके हैं सिन्दूर लगाने के। जैसे की महाराष्ट्र में मंगलसूत्र में हल्दी कुमकुम लगाया जाता है। वहां बहुत कम ही देखा जाता है की औरते मांग में सिंदूर लगाती है।
उसी तरह बिहार में केसरिया रंग के सिंदूर का उपयोग किया जाता है और शुभ प्रसंगों मैं औरते नाक से मांग तक लगाती ह
हमारे हिंदू धर्म में यह भी माना जाता है की अगर शादी के वक्त पति अपने हाथो से पत्नी की मांग भरता है और सिंदूर मांग से गिर कर हल्का सा नाक पर भी गिर जाए तो उसे शुभ माना जाता है और यह भी माना जाता है की शादी के बाद दाम्पत्य जीवन सुखमय होगा और स्त्री बहुत खुश रह
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