Why is Belpatra offered to Lord Shiva?
भगवान भोलेनाथ को सावन का महीना प्रिय होता है। श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की अराधना की जाती है। भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तु अर्पित की जाती हैं। इसीलिए पूजा में हम भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र भी अर्पित करते हैं। बेलपत्र के पत्ते भगवान शिव को बहुत प्रिय लगते है। इसलिए भगवान शिव की पूजा में यदि बेलपत्र नहीं चढ़ाया तो वह अधूरी मानी जाती है । बेलपत्र के तीन पत्ते जो आपस में जुड़े होते हैं वो पवित्र माने जाते हैं। तीन पत्ते आपस में जुड़े हुए हैं इसलिए इन तीन पत्तों को त्रिदेव माना जाता है। और कुछ का मानना है कि तीन पत्ते महादेव के त्रिशूल का प्रतिनिधित्व करते हैं। मान्यता है कि बेलपत्र के तीन जुड़े हुए पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव को शांति मिलती है। और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। यदि भगवान शिव को प्रेम से केवल बेलपत्र के पत्ते चढ़ाए जाते हैं, तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने के पीछे की पौराणिक कथा।
शिवजी को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?
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बेलपत्र चढ़ाने का कारण:
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बेलपत्र चढ़ाने का कारण है कि बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती है जिसको लेकर कई तरह की पुरानी मान्यताएं प्रचलित है। 3 पत्तो को कहीं पर त्रिदेव , तो कहीं तीन गुणों,तो कहीं तीन ध्वनियो का प्रतीक माना जाता है। बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को महादेव की तीन नेत्र या उनके त्रिशूल का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए बेलपत्र को चढ़ाना शुभ माना जाता है।
शिवजी को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है? – Why is Belpatra Offered to Lord Shiva?
पौराणिक कथा:
चलिए हम बेलपत्र चढ़ाने के पीछे थी पुरानी कथा बारे में जानते हैं। समुंद्र मंथन हुआ था यह तो हर कोई जानता है। पर इसके पीछे बेलपत्र चढ़ाने की कथा भेज जुड़ी हुई है। जब समुद्र मंथन हुआ था तब समुंद्र में से विष निकला था तब भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए उस विश को अपने कंठ में धारण कर लिया था। जिसकी वजह से भगवान शिव का कंठ मिला हो गया और उनका पूरा शरीर अत्याधिक गरम हो गया था। जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी जलने लगा।
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तभी देवताओं ने कहा कि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है। इसलिए सभी देवताओं ने बेलपत्र शिव जी को खिलाना शुरू कर दिया। बेलपत्र के साथ साथ शिव को शीतल रखने के लिए उन पर जल भी अर्पित किया गया। तभी से बेलपत्र और जल का प्रभाव भोलेनाथ के शरीर पर उत्पन्न गर्मी को शांत करने लगी।तभी से शिवजी पर बेलपत्र और जल चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई।
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