हमारे आसपास ऐसे कई एसेंशियल ऑयल मौजूद है जिन्हें हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। जैसे-लैवेंडर ऑयल, नीलगिरी ऑयल और कैमोमाइल एसेंशियल ऑयल आदि। मुख्य रूप से पौधों से निकाले जाने वाले अर्क से तैयार किया जाता है इन एसेंशियल ऑयल को। अरोमाथेरेपी, प्राकृतिक उपचार आदि कई बीमारियों के लिए इन तेलों का आज भी इस्तेमाल होता है। इन्हीं से एक है cotton seed जिसे बिनौले या फिर कपास का तेल भी कहा जाता है।
6 Benefits of Cotton seed Oil – कपास के तेल के 6 फायदे
सोया, मक्का, कैनोला के बाद सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल कपास है। कपास के बीज को ही बिनौला कहते हैं। कपास का प्रयोग जानवरों के लिए, ईयरबड बनाने में, रूई बनाने में, मेडिकल रूप में कई तरह से किया जाता है। इससे बना परिष्कृत बिनौले के बीज का तेल (Cotton seed oil benefits) सौंदर्य प्रसाधनों व खाद्य पदार्थों में उपयोग में लाया जाता है। इस तेल में इतने गुण हैं कि भारतीय कृषि अनुसंधान भी इस तेल को प्रमुख तेलों की तरह खाद्य तेल के रूप में प्रमोट करने का प्रयास कर रहा है।
कपासिया तेल खाने के फायदे – 6 Benefits of Cotton Oil
1.सूजन में फायदेमंद
बिनौले के तेल में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके तेल से आंतों की सूजन भी कम होती है। बिनौले के तेल में जैतून के तेल जैसे ही एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं, यह हार्ट डिजीज से लेकर अर्थराइटिस की सूजन कम करने में भी मदद करता है। इस तेल में मोनोअनसेच्युरेटिड फैट होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
2.घाव भरने के लिए
बिनौले के तेल का उपयोग घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए भी किया जा सकता है। एक रिसर्च के अनुसार इसके बीज में एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव के साथ ही वूंड हीलिंग प्रभाव भी पाया जाता है। इस आधार पर हम यह मान सकते हैं कि यह प्रभाव इसके तेल में भी मौजूद हो सकता है। यह प्रभाव घाव को तेजी से भरने में मददगार हो सकता है। फिलहाल, इस विषय में अभी और सटीक शोध की आवश्यकता है।
3.त्वचा के लिए फायदेमंद
त्चवा संबंधी रोगों को खत्म करने या कम करने में बिनौले का तेल काफी फायदेमंद है। यह तेल कई सौंदर्य प्रसाधनों में प्रयोग किया जाता हैा। इसका प्रयोग नहाने का साबुन और मॉश्चराइजिंग लोशन आदि में होता है। डॉ. राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि जिन लोगों को अपनी त्वचा पर ग्लो और चमक चाहिए वे नारियल के तेल के साथ बिनौले का तेल मिलाकर चेहरे पर लगाएं। इससे त्वचा मुलायम बनती है।
4.एंटी कैंसर प्रभाव
बिनौले के तेल का उपयोग कैंसर से बचाव में कुछ हद तक मददगार हो सकता है। एक शोध के अनुसार बिनौले के तेल में गॉसिपोल नामक पॉलीफेनोल पाया जाता है। इस पॉलिफिनॉल्स में एंटी कैंसर प्रभाव मौजूद होता है। यह प्रभाव स्तन कैंसर, कोलन कैंसर, पैंक्रियाटिक यानी अग्नाशयी कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को कम करने में कुछ हद तक मददगार हो सकता है । हालांकि, कॉटन सीड ऑयल कैंसर का इलाज नहीं है। अगर कोई कैंसर से पीड़ित है, तो उसका डॉक्टरी उपचार कराना जरूरी है।
5.बालों के लिए मददगार बिनौले का तेल
बिनौले के तेल में विटामिन ई पाया जाता है। इसलिए यह माना जाता है कि इस तेल का उपयोग करने से बालों की समस्या खत्म होती है। आजकल बालों का टूटना, बालों का पतला होना, डैंड्रफ आदि परेशानियां आम हैं, यह परेशानियां बिनौले के तेल से नियंत्रित होती हैं। यह तेल बालों को पर्यावरण से होने वाले नुकसान से बचाता है। साथ ही बालों को मॉश्चराइज भी करता है। इसके अलावा इस तेल को लगाने से प्रोटीन का नुकसान होने से बचता है। इस एक तेल के उपयोग के कई फायदे हैं।
6. हृदय को स्वस्थ रखने के लिए
हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया यानी कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि हृदय रोग का जोखिम खड़ा कर सकती है। वहीं, बिनौले तेल युक्त आहार का सेवन कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल की वजह से होने वाले हृदय रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है। दरअसल, बिनौले के तेल में मौजूद लिपिड को कम करने वाला प्रभाव कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है ।
अकसर पूछे जाने वाले सवाल
a.क्या बिनौला तेल इंसानों के लिए अच्छा है?
बिनौला का तेल पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड का एक समृद्ध आहार स्रोत है और स्वस्थ, युवा वयस्कों में लिपिड प्रोफाइल में सुधार करने के लिए दिखाया गया है ।
b.सबसे ताकतवर तेल कौन सा है
आमतौर पर सभी एसेंशियल ऑयल प्रबल और तीक्ष्ण होते हैं जैसे नीलगिरी का तेल, दालचीनी का तेल, लैवेंडर का तेल आदि।
c.विश्व का सबसे अच्छा तेल कौन है?
जैतून के तेल में मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है, जो आपको दिल की बीमारियों से बचाता है. ऑलिव आयल का इस्तेमाल करने से खाने नुक़सानदेह फैटी एसिड भी कम होता है. इसलिए खाना पकाने के लिए जैतून का तेल (Olive Oil For Cooking) सबसे सेहतमंद तेल माना जाता है.
d.रिफाइंड तेल क्यों नहीं खाना चाहिए?
लेकिन रिफाइंड ऑयल के इस्तेमाल से शरीर में फैटी एसिड की कमी हो सकती है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से आपको छोटी उम्र में जोड़ों और कमर में दर्द की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं इसकी वजह से आप में आंख, दिल और दिमाग से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है।
e.सरसों या रिफाइंड कौन सा तेल बेहतर है?
रिफाइंड तेल सरसों के तेल की तुलना में आपके स्वास्थ्य पर बहुत अधिक हानिकारक प्रभाव डालते हैं । सबसे पहले, यह तथ्य कि इसका रासायनिक उपचार किया जाता है, इसे काफी हानिकारक बना देता है। शोधन की प्रक्रिया में निकल शामिल होता है जिसका त्वचा, श्वसन प्रणाली और यकृत पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
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