Story of Jubilee Series: वेब सीरीज जुबली में बंगाली सिनेमा के जाने माने एक्टर प्रोसेनजित चटर्जी के काम की काफी तारीफ हो रही है। उनका कहना है कि रिलीज के बाद से ही उनके फोन की घंटी बजना बंद नहीं हो रही है। कॉल करने वाले कुछ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के, तो कुछ बंगाली सिनेमा के उनके साथियों में से एक हैं। तारीफ करने वाले लोगों का कहना है कि जुबली में मेरी एक्टिंग तालियों की हकदार है। लगभग चार दशकों तक बंगाली सिनेमा पर राज करने वाले प्रोसेनजित कहते हैं, ” मेरे लिए इससे बेहतर ओटीटी डेब्यू नहीं हो सकता।
Story of Jubilee Series
जुबली शब्द सिनेमा के लिए बीते दौर की बात हो चुकी है। इसी बीते दौर के शब्द के साथ निर्देशक विक्रमादित्य मोटवानी ने भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर को अपनी सीरीज जुबली से जीवंत कर दिया हैं। 50 का दौर जिसे सिनेमा का स्वर्णिम युग कहा जाता है, क्योंकि सिनेमा की विकास यात्रा यहीं से शुरू होती है। सिनेमा के चकाचौंध ही नहीं उसके अंधेरे को भी यह सीरीज बखूबी उजागर करती है, जिसमें लालच, स्वार्थ, मक्कारी, मौकापरस्ती, साजिशें भी शामिल है। जिस डिटेलिंग के साथ परदे पर कहानी को साकार किया गया वह इस सीरीज को खास बना गया है।
जुबली सीरीज में प्रोसेनजित चटर्जी की तारीफ – Prosenjit Chatterjee Praised in Jubilee
वेब सीरीज जुबली में नजर आए प्रोसेनजीत
प्रोसेनजीत कई दशकों से बंगाली फिल्म उद्योग में काम कर रहे हैं। उनकी कुछ पॉपुलर फिल्मों में अमर संगी, बियेर फूल, चोखेर बाली, ऑटोग्राफ, बैशे सर्बों, मिशावर रोहोस्यो और जातिश्वर शामिल हैं। उन्होंने बॉलीवुड में भी काम किया है, विशेष रूप से दिबाकर बनर्जी की 2012 की फिल्म शंघाई में, जिसमें इमरान हाशमी, अभय देओल, कल्कि कोचलिन और तिलोत्तमा शोम ने अभिनय किया था।
जुबली में हो रही प्रोसेनजित चटर्जी की तारीफ
जुबली में निर्माता-निर्देशक विक्रमादित्य मोटवाने 40-50 का दशक दिखाने की कोशिश की है। सीरीज में प्रोसेनजित ने श्रीकांत रॉय की भूमिका निभाई है, जो रॉय टॉकीज का एक शक्तिशाली फिल्म मुगल है और अपने आप में एक स्टार-निर्माता है। मिड-डे को दिए इंटरव्यू में अभिनेता ने कहा कि उनके पास अमेजन प्राइम वीडियो की पेशकश के लिए अपनी सहमति देने के दो कारण थे – उस युग के सिनेमा के लिए उनका प्यार और मोटवानी के साथ काम करने का मौका।
इस वजह से किया ओटीटी डेब्यू
“विक्रम नए जमाने के सिनेमा के बेहतरीन निर्देशकों में से एक हैं। जब उन्होंने मुझे सब्जेक्ट सुनाया, तो उन्होंने कहा कि जिस दिन से उन्होंने छह साल पहले इसे लिखना शुरू किया था, उस दिन से उनके दिमाग में श्रीकांत रॉय के लिए केवल मैं ही था। जो चीज उन्हें बेहतरीन निर्देशकों में से एक बनाती है, वह यह है कि आज भी, वह एक सहायक निर्देशक जैसा व्यवहार करते हैं।”
गॉडफादर जैसा था लुक
प्रोसेनजित ने आगे कहा, “मैं उस दौर के लोगों और भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के बारे में जानता हूं। मेरी पसंदीदा फिल्मों में से एक गुरुदत्त की कागज के फूल रही है। जब मैंने जुबली के सेट पर प्रवेश किया, तो मैंने विक्रम को गले लगाया और उससे कहा कि उसने मेरा एक सपना पूरा कर दिया है।” एक्टर ने आगे कहा- “श्रीकांत, विक्रम ने मुझसे कहा, ‘मुझे बस द गॉडफादर चाहिए।”
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