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रानीखेत का इतिहास – History of Ranikhet

History of Ranikhet: भारत के उत्तराखंड राज्य में मौजूद रानीखेत एक खूबसूरत पहाड़ी जगह है। प्रकृति से रूबरू होने के लिए रानीखेत सबसे अच्छा स्थान है। बता दें, रानीखेत को ‘रानी का मैदान’ के नाम से भी जाना जाता है, जहां के देवदार और बलूत के पेड़ इस जगह की खूबसूरती में चार-चांद लगा देते हैं। अगर आप शहरी जीवन की भागदौड़ से कुछ दूर प्रकृति में एक अच्छा समय बिताना चाहते हैं, तो आज ही रानीखेत घूमने की प्लानिंग कर लें। चारों तरफ पहाड़ और हरियाली कसम से आपका मन खुश कर देगी। और तो और, रानीखेत बजट में भी घूमने के लिए बेस्ट जगह है।

History of Ranikhet

देवभूमि उत्तराखंड में अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वविख्यात है – रानीखेत। रानीखेत उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में समुद्र तल से 6000 फीट की ऊंचाई पर झूला देवी पर्वत श्रंखला में स्थित है। रानीखेत को “पर्यटकों की नगरी” कहा जाता है क्योंकि रानीखेत उत्तराखंड का वह पर्यटक स्थल है जहां सर्वाधिक मात्रा में पर्यटक आते हैं। यहां से हिमालय की सुंदर विहंगम पर्वत श्रंखलाऔ के दर्शन किए जा सकते हैं। यह स्थान विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों से चारों ओर से घिरा हुआ है। यहां बिनसर महादेव मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, हैंडासन मंदिर, कालिका मंदिर, राम मंदिर, झूला देवी मंदिर इसके अतिरिक्त विश्व प्रसिद्ध गोल्फ मैदान और चौबाटिया गार्डन जैसे दर्शनीय स्थल हैं।

रानीखेत का इतिहास – History of Ranikhet

रानीखेत का इतिहास

रानीखेत का इतिहास - History of Ranikhet
History of Ranikhet

रानीखेत ‘गगास नदी’ के तट पर स्थित खूबसूरत शहर है। रानीखेत को पहले ‘झूला देवी’ और ‘ऑकलैंड हिल्स’ के नाम से जाना जाता था। इस स्थान का नाम रानीखेत पड़ने की दो किदवंती प्रसिद्ध हैं जिसका संबंध कत्यूरी राजवंश से है।

पहली किदवंती के अनुसार कहा जाता है कि कत्यूरी शासक राजा सुधारदेव की रानी पद्मिनी ग्रीष्म काल में आकर यहां रहती थी। जहां पर वह रुकती थी वहां पर खेत था। वह खेत रानीखेत के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

दूसरी किदवंती के अनुसार कुमाऊं की लक्ष्मी बाई कहीं जाने वाली जियारानी अपनी यात्रा पर निकली हुई थी। इस क्षेत्र से गुजरते समय वह यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से मोहित होकर रात्रि विश्राम के लिए रुकी। उन्हें यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने बाद में यहीं पर अपना स्थायी निवास बना लिया। और तब इस स्थान को ‘रानीखेत’ के नाम से जाना गया।

रानीखेत का इतिहास - History of Ranikhet
History of Ranikhet

उपयुक्त कथाओं से ज्ञात होता है कि रानीखेत पर प्राचीन समय में कत्यूरी राजवंश का शासन था। उन्हीं के शासनकाल में ‘रानीखेत’ शब्द की उत्पत्ति हुई। उसके पश्चात रानीखेत में चंद राजवंश ने शासन स्थापित किया और कुछ समय के लिए गोरखाओ ने कुमाऊं की बागडोर संभाली। किंतु 3 मई 1815 में गोरखाओ को अंग्रेजों ने हराकर कुमाऊं पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। अंग्रेजों का कुमाऊं पर नियंत्रण होने के बाद उनकी नजर रानीखेत की सुंदरता पर पड़ी। देवदार और बुरांश, काफल के वृक्षों से घिरा रानीखेत अत्यधिक रमणीक एवं आकर्षित लगा। जो प्रकृति की सुंदर गोद में बसा था। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण जैसे रानीखेत को सौन्दर्यता वरदान मिला हो। इस पूरे क्षेत्र की मनमोहक सुंदरता का अनुमान कभी नीदरलैंड के राजदूत रहे ‘वान पैलेन्ट’ के इस कथन से लगाया जा सकता है – ”रानीखेत को नहीं देखा उसने भारत को नहीं देखा”।

अंग्रेजों ने रानीखेत को छुट्टियों में मौज मस्ती के लिए हिट स्टेशन के रूप में फिर विकसित किया और तब से रानीखेत अंग्रेजों और विदेशियों का पसंदीदा स्थान बन गया है। आधुनिक रानीखेत की स्थापना 1869 मे हेनरी रेम्जे ने की। अमेरिका न्यायधीश “विलियम दोग्लस” ने रानीखेत को विश्व का सर्वोत्तम हिल स्टेेशन कहा। अंग्रेजी वायसराय “लार्ड मेयो” को रानीखेत बहुत प्रिय लगता था। प्रशासनिक रूप सेेे रानीखेत अल्मोड़ा के पश्चिमी घाट में स्थित हैै। रानीखेत को 1913 में तहसील का दर्जा दिया गया।

रानीखेत छावनी

रानीखेत का इतिहास - History of Ranikhet
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रानीखेत छावनी परिषद का गठन 1924 की छावनी बोर्ड अधिनियम के अंतर्गत हुआ था। रानीखेत एक प्रथम श्रेणी की छावनी है। रानीखेत छावनी दो पर्वत चोटियों पर फैली हुई है। पहली जिसे रानीखेत रिज कहा जाता है और दूसरी चौबटिया रिज कहा जाता है। रानीखेत छावनी में भारतीय सेना की कुमाऊं तथा नागा रेजीमेंट का रेजिमेंटल सेंटर स्थित है। कुमाऊं रेजिमेंट की स्थापना 27 अक्टूबर 1945 में हुई तथा कुमाऊं रेजिमेंट का मुख्यालय मई 1948 में आगरा से रानीखेत लाया गया।

रानीखेत के प्रमुख स्थल

रानीखेत का चौबटिया उद्यान की क्या खासियत है?

चौबटिया उद्यान

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चौबटिया को ‘ऑरचर्ड कंट्री’ कहा जाता है। रानीखेत के चौबटिया में ‘फल संरक्षण एवं शोध केंद्र’ स्थापित किया गया है । दरअसल यूरोपीय उद्यमियों द्वारा उत्तराखंड में शीतोष्ण फलों की खेती प्रारंभ की गई। फलों की खेती की सफलता के कारण सरकार का ध्यान इस तरफ आकर्षित हुआ तथा चौबटिया में एक सरकारी उद्यान स्थापित होने का मार्ग प्रशस्त हुआ। चौबटिया उद्यान की स्थापना 1869-70 में हुई। इस उद्यान की स्थापना वन विभाग द्वारा ‘डब्ल्यू क्रा’ की देखरेख में की गई। इस उद्यान के प्रथम सुपरिटेंडेंट ‘डब्ल्यू क्रा’ थे। सन 1914 में राष्ट्रीय उद्यान चौबटिया वन विभाग द्वारा कुमाऊं कमिश्नर के अधीन कर दिया गया।

गोल्फ का मैदान का निर्माण कब हुआ?

गोल्फ का मैदान

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यह गोल्फ ग्राउंड गुलमर्ग के बाद एशिया का सबसे बड़ा गोल्फ ग्राउंड है। ‘गगास नदी’ के तट पर स्थित गोल्फ मैदान का निर्माण 1920 में हुआ था। यह रानीखेत से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इसकी सुंदरता की लालिमा विवाह फिल्म में देखी जा सकती है। यहां की हरे हरे घास के शान्त मैदान प्रकृति में अनूठी सुंदरता का रंग बिखेरते हैं।

बिनसर महादेव मंदिर किस को समर्पित मंदिर है?

बिनसर महादेव मंदिर

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बिनसर महादेव भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है इसका निर्माण राजा पिथु ने करवाया था। भगवान शिव के साथ-साथ यहां भगवान गणेश, देवी गौरी अन्य देवी देवताओं की पूजा की जाती है। इसके अतिरिक्त नरसिंह मैदान के समीप मनकामेश्वर मंदिर स्थित है।

भालू डैम या भालू धाम

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भालू धाम या भालू डैम रानीखेत के समीप स्थित एक कृत्रिम झील है यहां से हिमालय पर्वत की बर्फ से ढकी सफेद चोटी का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है।

आशियाना पार्क की क्या खासियत है?

आशियाना पार्क

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रानीखेत नगर के बीचों-बीच आशियाना पार्क बनाया गया है ।जहां बच्चों के लिए विशेष का जंगली थीम बनाई गई हैं और नरसिंह मैदान के समीप रानी झील है जहां नौकायन सुविधा उपलब्ध है। यह झील अल्मोड़ा में स्थित रानी पर्वत पर है।

 

 

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