अहमदाबाद से तकरीबन सौ किलोमीटर की दूरी पर पुष्पावती नदी के किनार पर मोढ़ेरा का विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर स्थित है। तो आज हम आप को Interesting Facts About Sun Temple – मोढेरा के सूर्य मंदिर की खासियत के बारे में बतायेंगे। इस मंदिर को कुछ इस तरह बनाया गया है कि सूर्योदय होने पर पहली किरण सीधे गर्भगृह तक पहुंच सके। इस मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर लगे शिलालेख से पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम ने करवाया था। वो सूर्य को कुलदेवता के रूप में पूजते थे। इसीलिए उन्होंने अपने आद्य देवता की पूजा के लिए इस भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था।
Interesting Facts About Sun Temple
ये सूर्य मंदिर 11 वीं सदी में बना है। शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण देने वाले इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरे मंदिर के निर्माण में जुड़ाई के लिए कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है। हर साल संक्रांति के अवसर पर यानी सूर्य के राशि बदलने पर इस जगह से सूर्य के दर्शन किए जाते हैं और यहां बने सूर्यकुंड के पानी से स्नान भी किया जाता है।
मोढेरा के सूर्य मंदिर की खासियत – The Specialty of the Sun Temple of Modhera
सूर्य मंदिर में कैसी मूर्तियां हैं?
सूर्य मंदिर परिसर की जटिल मूर्तियां और नक्काशी मंत्रमुग्ध कर देने वाली है। मोढेरा स्थित सूर्य मंदिर उस समय के अवशेष हैं, जब वैदिक देवताओं के साथ प्राकृतिक तत्व अग्नि, वायु, पृथ्वी, जल और आकाश को लेकर श्रद्धा अपने चरम पर थी। पीएम मोदी की ओर से शेयर की गई तस्वीरों में मंदिर परिसर में निर्मित कुंड और पत्थर की चिनाई का शानदार काम दिखता है। गुजरात के इतिहास के स्वर्ण युग के दौरान – सोलंकी राजघरानों के युग में इसका निर्माण हुआ था। आयताकार आकार में बने रामकुंड के नाम से प्रसिद्ध कुंड में विभिन्न देवताओं के 108 मंदिर हैं।
सूर्य मंदिर के मुख्य कितने भाग हैं?
इस मंदिर के तीन मुख्य भाग हैं – गर्भ गृह एवं गूढ़ मंडप लिए मुख्य मंदिर, सभामंड़प एवं सूर्य कुंड या बावड़ी। प्रथम भाग है, गर्भगृह तथा एक मंडप से सुसज्जित मुख्य मंदिर जिसे गूढ़ मंडप भी कहा जाता है। अन्य दो भाग हैं, एक प्रथक सभामंड़प तथा एक बावड़ी। जब मंदिर का प्रतिबिम्ब इस बावड़ी के जल पर पड़ता है तब वह दृश्य सम्मोहित सा कर देता है। इस मंदिर के प्रमुख देवता सूर्य भगवान् हैं। सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य की जादुई किरणें इस मंदिर एवं जल पर पड़ते इस प्रतिबिम्ब की सुन्दरता को चार चाँद लगा देते हैं।
मंदिर के पृष्ठ भाग में कौन सी नदी बहती है?
मंदिर के पृष्ठ भाग से होकर बहती पुष्पावती नदी मंदिर के परिप्रेक्ष्य को और अधिक आकर्षक बना देती है। मंदिर के एक भाग में आपको कुछ कीर्ति तोरण भी दृष्टिगोचर होंगे जो अवश्य किसी रण विजय का प्रतिक हैं। वर्तमान में इस मंदिर के भीतर किसी भी देवी अथवा देवता की प्रतिमा उपस्थित नहीं है। अतः यह जागृत मंदिर नहीं है।
मंदिर के पूर्वी छोर पर क्या है?
मोढेरा के सूर्य मंदिर परिसर के पूर्वी छोर पर, सभा मंडप के समक्ष सूर्यकुंड अर्थात् बावड़ी की संरचना की गयी है। बावड़ी का भीतरी भाग सीड़ियों द्वारा शुण्डाकार में बनाया गया है। सीड़ियाँ अनोखे ज्यामितीय आकार में बनायी गयी हैं। यह बावड़ी, अन्य मंदिरों के बावडियों से किंचित भिन्न है, क्योंकि इसकी सीड़ियों पर कई छोटे बड़े मंदिरों की स्थापना की गयी है। इनमें कई मंदिर भगवान् गणेश एवं भगवान् शिव को समर्पित हैं।
मोढेरा सूर्य मंदिर का सभामंडप एक अष्टभुजीय कक्ष है जो बाहरी परिप्रेक्ष्य से अपेक्षाकृत विकर्ण दिशा में संरचित है। सभामंडप के भीतर लगे तोरण भक्तों का स्वागत करते प्रतीत होते हैं। सभामंडप की जो शिल्पकला सबसे मनमोहक है, वह है, उत्तम नक्काशी किये गए स्तंभ। इन्ही स्तंभों के बीच लगे वृत्तखण्डों पर तोरण की शिल्पकारी की गयी है। यह वृत्तखण्ड अर्धवृत्ताकार एवं त्रिकोणीय आकार में बारी बारी से बनाए गए हैं। इस सभामंडप में ५२ स्तंभ हैं। साहित्यों के अनुसार यह, एक सौर वर्ष के ५२ सप्ताहों को दर्शाते हैं।
स्तंभों में हम किस का दृश्य स्पष्ट देख सकते हैं?
स्तंभों पर की गयी महीन उत्कीर्णनों में रामायण, महाभारत एवं कृष्ण लीला के दृश्य स्पष्ट देखे जा सकते हैं। जो दृश्य मेरी स्मृतिपटल पर अब भी खुदे हुए हैं, उनमें से कुछ हैं, श्रीलंका के अशोक वाटिका में बैठी देवी सीता, हाथों में शिलाखंड लिए रामसेतु की रचना में रत वानर सेना, अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाये कृष्ण, द्रौपदी के स्वयंवर में धनुष धारण किये अर्जुन, साजश्रंगार करती विषकन्याएं इत्यादि।
मंदिर अपनी भव्य संरचना के साथ राजसी प्रतीत होता है।बाहरी दीवारों को जटिल नक्काशी के साथ उकेरा गया है, जो उन दिनों में कला की महारत के बारे में बताती है। संरचना का हर एक इंच देवताओं, देवी, पक्षियों, जानवरों और फूलों के मूर्तिकला पैटर्न से ढका हुआ है। दरअसल, सूर्य मंदिर को सूर्य कुंड, सभा मंडप और गुड़ा मंडप नाम से तीन भागों में बांटा गया है।
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