बंगाल की सुहागिने शंख -पोला पहनती हैं। ताकि उनके पति की उम्र लम्बी और सेहत मय हो। लेकिन क्या आप जानते है इसके पीछे का असली रहस्य क्या है। तो आइये जानते है आज के इस आर्टिकल में बने रहिये हमारे साथ अंत तक।
बंगाली शंक – पोला का लॉजिक
बंगाली शादियां रस्मों से भरी होती हैं और यह पूरे उत्सव को और भी शानदार बना देती है। बंगाली विवाह की रीढ़ के चार भाग होते हैं- शंख, पोला, लोहा और सिंदूर दान।
Logic of Shankh Pola
शंख-पोला पीछे की कहानी
शंख शंख से बनी सफेद चूड़ियों की एक जोड़ी है, पोला लाल चूड़ियों की एक जोड़ी है लाल मूंगा और लोहा के साथ एक साधारण लोहे की चूड़ी है। ये चीजें हर बंगाली लड़की के वैवाहिक जीवन का एक अविभाज्य पारंपरिक हिस्सा हैं। शंख-पोला
शंख-पोला पीछे की कहानी
शादी के दिन सुबह, ‘दूधी मंगल’ नामक एक प्रदर्शन समारोह किया जाता है। इस समय शंख-पोला को हल्दी मिश्रित जल से भरे पात्र में भिगोया जाता है और फिर सात सुहागिन स्त्रियाँ इन चूड़ियों को दुल्हन के हाथ में पहनाती हैं। इसे देवी के सात रूपों के रूप में माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह शंख-पोल प्रथा एक मछुआरे की कहानी से आई है। चूंकि वे महंगे गहने नहीं खरीद सकते इसलिए वे इस तरह की सफेद और लाल चूड़ियां पहनती हैं। यह भी माना जाता है कि इन चूड़ियों और लोहे में नकारात्मक और सकारात्मक वाइब्स को एक साथ संभालने की शक्ति होती है।
शंख-पोला पीछे का लॉजिक
दरअसल, सफेद और लाल रंग की ये दोनों चूड़ियां दुल्हन के हाथों में एक खूबसूरत चमक बिखेरती हैं। यह कार्पल शाफ्ट क्षेत्र में रक्त के संचलन को बढ़ाता है जहां केंद्रीय तंत्रिका प्रकोष्ठ में गुजरती है। यह मानव शरीर में स्थिर सक्रियण स्थल उत्पन्न करता है। इन चूड़ियों को पहनने से जीवनशैली में सुधार आता है
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