पायलट प्रोजेक्ट के जरिए थ्रोबोलिसिस करा सकेंगे मरीज – Patients will be Thrombolysis Through Pilot Project

Patients will be Thrombolysis Through Pilot Project

अस्पतालों में जिस तरह से हृदय रोग के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसको देखते हुए पायलट प्रोजेक्ट के तहत सीएचसी और जिला अस्पताल पर ईसीजी और थ्रोबोलिसिस की सुविधा शुरू होने से बड़ी राहत होगी। सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने चिकित्सा अधिकारियों, अधीक्षकों के साथ बैठक में तैयारियों की समीक्षा की।

पायलट प्रोजेक्ट के जरिए थ्रोबोलिसिस करा सकेंगे मरीज – Patients will be Thrombolysis Through Pilot Project

पायलट प्रोजेक्ट के जरिए थ्रोबोलिसिस करा सकेंगे मरीज - Patients will be Thrombolysis Through Pilot Project
Patients will be Thrombolysis Through Pilot Project

वाराणसी के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर ईसीजी और थ्रोंबोलिसिस की सुविधा जल्द ही शुरू हो जाएगी। इसके बाद जहां हृदय रोग के मरीजों को उनके घर के पास ही जांच की सुविधा मिल जाएगी, वहीं उन्हें भटकना नहीं पड़ेगा। इसके लिए चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ का प्रशिक्षण भी शुरू हो गया है। इस प्रोजेक्ट के लिए वाराणसी को प्रदेश में पायलट के तौर पर पहला जिला चुना गया है।

अस्पतालों में जिस तरह से हृदय रोग के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसको देखते हुए पायलट प्रोजेक्ट के तहत सीएचसी और जिला अस्पताल पर ईसीजी और थ्रोंबोलिसिस की सुविधा शुरू होने से बड़ी राहत होगी। सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने चिकित्सा अधिकारियों, अधीक्षकों के साथ बैठक में तैयारियों की समीक्षा की। बताया कि देश के विभिन्न राज्यों के 19 जिलों में स्वास्थ्य केंद्रों पर यह सुविधा शुरू की जा रही है, जिसमें उत्तर प्रदेश से वाराणसी को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहला जिला चुना गया है। तीन फेज में इसकी शुरुआत की जाएगी, जिसमें पहले जिला अस्पताल, ग्रामीण सीएचसी और फिर शहरी सीएचसी को शामिल किया जाएगा। स्पोक एंड हब सिस्टम पर शुरू होने वाली सुविधा में बीएचयू के हृदय रोग विशेषज्ञ टेली कंसलटेंसी के माध्यम से सलाह देंगे। बताया कि देश में 27 प्रतिशत मौत हृदय रोग से होती है। ऐसे में इस सुविधा के शुरू होने से मरीजों को लाभ होगा।

 थ्रोबोलिसिस क्या है ?

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सीएमओ ने बताया कि थ्रोबोलिसिस उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें एक एंजाइम के जरिये रक्त में मौजूद थक्के को गला दिया जाता है। रक्तपतला होने से वह आसानी से धमनियों में संचरण कर पाता है। इसमें मरीज का ईसीजी और ईको जैसे टेस्ट कर रिपोर्ट टेली कंसल्टेंसी के माध्यम से हृदयरोग विशेषज्ञ के पास भेजी जाएगी। गंभीर मरीजों को उच्चीकृत चिकित्सालयों में रेफर भी किया जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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