भारतीय संस्कृति में बहुत सी मान्यतय हैं जिनमे से एक मान्यता है की महिलाओ को मासिक धर्म में मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए पर इसके पीछे कई Scientific facts on periods हैं जो हम आपको बताने जा रहे हैं। क्यों महिलाओ को मासिक धर्म में मंदिर जाना वर्जित है इससे जुड़ी सभी जानकारी हम आपको देने वाले हैं तो बने रहिये हमारे साथ इस आर्टिकल में अंत तक और हमारे पेज को Subscribe करना ना भूले।
क्यों महिलाओ को मासिक धर्म में मंदिर जाना वर्जित है – Scientific facts on Periods
भारतीय संस्कृति में बहुत सी मान्यतय हैं जिनमे से एक मान्यता है की महिलाओ को मासिक धर्म में मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए पर इसके पीछे कई Scientific facts on periods हैं जो हम आपको बताने जा रहे हैं। क्यों महिलाओ को मासिक धर्म में मंदिर जाना वर्जित है इससे जुड़ी सभी जानकारी हम आपको देने वाले हैं तो बने रहिये हमारे साथ इस आर्टिकल में अंत तक और हमारे पेज को सब्सक्राइब करना ना भूले।
भारत में ऐसी कई मान्यताएं है जो सदियों से चली आ रही है, जिन्हें लोगों ने अपनी सोच के अनुसार ढाल लिया है और वही सोच आगे आने वाली पीढ़ी पर भी थोपी जा रही है, लेकिन क्या आप जानते है कि हर मान्यता के पीछे एक वैज्ञानिक तथ्य (Scientific Facts) जुड़ा होता है, जो बहुत कम लोगों को पता रहता है.
मासिक धर्म में अपवित्रता से जुड़ा हुआ तथ्य
महिलाओं को पीरियड्स में मंदिर ना भेजने के पीछे एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक तथ्य जुड़ा हुआ है, जिसे उनकी अपवित्रता से जोड़ दिया जाता है जो की बहुत गलत है. जानी-मानी Menstrual Educator सिनू जोसेफ ने महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित शिक्षा कार्य को अपनाया था. सिनू को एक दिन एक लड़की ने मेल के द्वारा बताया कि नामजप सत्र में उपस्थित होने के बाद उन्होंने तीव्र दर्द महसूस किया. उस लड़की का यही सवाल था कि ऐसा क्यों होता है. फिर पता चला कि मासिक धर्म के दौरान ऊर्जा पृथ्वी में नीचे की ओर जाती है और पूजा के वक्त ऊर्जा ऊपर की ओर आती है जिससे शरीर में बेचैनी होने लगती है.
क्या कहना है मंदिर के पुजारी का मासिक धर्म के ऊपर।
पीरियड्स के दौरान खून की कमी एक महिला को कमजोर बनाती है और मंदिरों में कठोर अनुष्ठान किए जाते हैं और उस वक्त विपरीत ऊर्जाएं खेल रही होती है. एक मंदिर के पुजारी ने इस तथ्य को इस तरह से समझाया कि इस अवधि के दौरान महिला एक देवी कहलाती है और देवता उसमें समा जाते हैं. इसलिए सद्भाव बनाए रखने के लिए महिलाओं को मंदिर जाने के लिए मना किया जाता हैं लेकिन लोगों ने इसे हमेशा अपनी सोच के हिसाब से समझा है.
पीरियड्स के कितने बाद मंदिर जाना चाहिए
जी हाँ आप पांचवे दिन से मंदिर जा सकतीं हैं और अगर आपको यह लगता है की आपको पांच दिन से ज़्यदा रहता है पीरियड तोह आप सातवे दिन से मंदिर जाना शुरू कर सकतीं हैं मंदिर।
पीरियड्स के दौरान पूजा क्यों नहीं करना चाहिए
पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए. यह मान्यता प्राचीन काल से चली आ रही है. ऐसा कहा जाता है कि उस समय महिलाओं के शरीर में ऊर्जा का संचार अधिक होता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान इस ऊर्जा को सेहन नहीं कर सकते हैं. उदाहरण के लिए कोई महिला पीरियड्स के दौरान अगर महिला तुलसी में जल डालती हैं, तो तुलसी सूख जाती है. उसी तरह भगवान भी इस ऊर्जा को सहन नहीं पाते हैं. इसी वजह से पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ वर्जित होती है.
ऐसा कही नहीं बताया गया है की पीरियड्स के दौरान महिलाये गन्दी होतीं हैं या उन्हें छुआ नहीं जा सकता है. इस दौरान महिलाये बहुत ही कमज़ोर हो चुकी होतीं हैं और उन्हें आराम की सख्त जरुरत होती हैं और इसीलिए बहुत पहले से यह प्रथा चलती आ रही है की महिलाये घर का कोई काम ना करे और उनदिनों सिर्फ आराम करें।
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