आज इस आर्टिकल में हम पोक्सो एक्ट से संबंधित जानकारियों देने वाले हैं बस आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें, हमारे इस आर्टिकल को पढ़कर आपके मन में पोक्सो एक्ट से संबंधित जितने भी प्रश्न होंगे आपको उन सारे प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगे।
पोक्सो एक्ट क्या है, पोक्सो एक्ट हिंदी में, पोक्सो एक्ट के तहत सजा – What is POCSO Act
पोक्सो एक्ट यानि प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल आफसेन्स एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences)। पोक्सो एक्ट को साल 2012 में नाबालिग बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से प्रोटेक्ट किया गया है. 2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। इस एक्ट में कुल 46 धाराएं हैं। अब पोक्सो एक्ट को और सख्त किया गया है।
पोक्सो एक्ट (POCSO Act )के तहत 12 साल से छोटे बच्चों बच्चियों के साथ बलात्कार के दोषी को मौत की सजा व 12 साल से ऊपर व 18 साल के कम उम्र के बच्चों व बच्चियों के साथ शरीरक सबंध , बलात्कार करने वाले दोषियों की सजा 10 साल से बढ़ा कर 20 साल तक कर दी गयी है।
पॉक्सो एक्ट को साल 2012 में बच्चियों पर बढ़ रहे यौन अपराध पर नकेल कसने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बनाया था। जैसा की ऊपर बताया जा चूका है कि इसमें 46 धाराएं हैं ये सभी अलग अलग अपराध की धाराएं हैं इनके तहत ही दोषियों को सजा दी जाती है। सर्वोच्च न्यायलय ने साल 2019 में केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि सरकार देश के हर जिले में एक पोक्सो कोर्ट(POCSO Court) जरूर बनाएगी। तांकि अपराधियों को सजा जल्द से जल्द दी जा सके। कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा था कि पोक्सो कोर्ट के लिए फंड केंद्र सरकार देगी।
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पोक्सो एक्ट व सजा –
पोक्सो एक्ट यानि Protection of Children from Sexual Offences एक एक्ट है जो साल 2012 में बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से रक्षा करने के लिए बनाया गया था। अब इसमें सजा की बढ़ोतरी कर दी गयी है। यानि 12 साल से कम उम्र की लड़की या कोई बच्चे के साथ ऐसी हरकत करना जो इस एक्ट के अधीन आती है :-
जैसे बच्चे या लड़की के सामने सेक्सुअल हरकत करना , लड़की के प्राइवेट पार्ट को टच करना , लड़की या लड़के से अपने प्राइवेट पार्ट को टच करवाना , या कोई पोर्न वीडियो दिखाना , कोई सेक्सुअल इशारे करना , बलात्कार करना , बच्चे या किशोरी को गलत हरकत करने के लिए कहना ये सब इस एक्ट के तहत अपराध होंगे। इनके तहत दोषी को सख्त सजा का प्रावधान है।
मुख्य धाराएं व सजा –
अगर कोई शख्स किसी लड़की या बच्चे से अपने प्राइवेट पार्ट को टच करवाता है या उसके प्राइवेट पार्ट को टच करता है तो दोषी को धारा 8 के तहत सजा होगी। पॉक्सो एक्ट की धारा 8 के अनुसार तीन से पांच साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।
इस एक्ट में ये भी प्रावधान है कि अगर कोई शख्स ये जानता है कि किसी बच्चे के साथ सेक्सुअल हरकत हुई है उसका शोषण हुआ है तो उसको नजदीक थाने में दर्ज़ करवानी होगी। अगर वो ऐसा नहीं करता है तो उसको छे साल की साजा का प्रावधान है।
इस एक्ट के अनुसार बच्चों के साथ यौन अपराध व छेड़छाड़ करने पर सख्त सजा दी जाती है। 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ रेप मामले में मौत की सजा का प्रावधान है।
एक्ट की धारा 35 के अनुसार अगर कोई विशेष परस्तिथि न हो तो इस केस का निपटारा एक साल के अंदर किया जाना चाहिए।
16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप केस में सजा को 10 साल से बढ़ा कर 20 साल तक कर दिया है।
अगर कोई शख्स बच्चे के शरीर के किसे भी हिस्से में प्राइवेट पार्ट डालता है तो ये एक्ट की धारा 3 के तहत अपराध है इसकी सजा धारा 4 में तय की गयी है। सजा उस एक्ट के तहत मिलती है जो बाकि के अपराधों में सबसे सख्त सजा का प्रावधान हो।
इस एक्ट के तहत सुनवाई कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या ऐसे लोग जिन पर बच्चा भरोषा करता है उनके सामने करने का भी प्रावधान है। यह सुनवाई एक विशेष न्यालय द्वारा की जाती है।
स्किन टू स्किन टच के बिना भी पोक्सो के अंडर आता है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि सिकन तो सिकन टच के बिना भी कोई छेड़छाड़ करना , प्राइवेट पार्ट टच करना भी पोक्सो एक्ट का मामला है। कोर्ट ने कहा कि ये नहीं कहा जा सकता कि बच्चे को कपड़ो के ऊपर से टच करना यौन शोषण नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि ऐसे तो कोई जस्ताने पहन कर भी किसी लड़की के प्राइवेट पार्ट टच करेगा तो वो पॉक्सो एक्ट से कैसे बच जायेगा। अगर ऐसा हुआ तो पोक्सो एक्ट तो खत्म हो जायेगा।
भारतीय दंड सहिंता –
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा थी जिसमे कहा गया था कि आरोपी द्वारा लड़की के कपड़े के ऊपर से उसके स्तन टटोलने पर पोक्सो एक्ट सेक्शन 8 के तहत उत्पीड़न नहीं होता। दरअसल बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि ये मामला धारा 354 के तहत छेड़छाड़ के अधीन आता है न की पोक्सो की धारा 8 के अधीन। इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगते हुए कहा था कि बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला अपमानजनक मिसाल है।
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