मुग़ल साम्राज्य का पहला शासक कौन था – Who Was the First Ruler of the Mughal Empire?

Who Was the First Ruler of the Mughal Empire? – जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक और प्रथम शासक था इसका जन्म 24 फ़रवरी, सन 1483 ई. में मध्य एशिया की उज्बेकिस्तान में हुआ था।

Who Was the First Ruler of the Mughal Empire?

मुग़ल साम्राज्य का पहला शासक कौन था - Who Was the First Ruler of the Mughal Empire?
Who Was the First Ruler of the Mughal Empire?

मुग़ल साम्राज्य का पहला शासक कौन था ?

बाबर का जन्म कब हुआ था? – When was Babur born?

जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक और प्रथम शासक था इसका जन्म 24 फ़रवरी, सन 1483 ई. में मध्य एशिया की उज्बेकिस्तान में हुआ था। यह तैमूर और चंगेज खान का वंशज था उसकी धमनियों में 2 वंशज के रक्त का प्रभाव था। मुंबई यान नामक पद शैली का जन्मदाता बाबर को ही माना जाता है। अपने पिता शेख मिर्जा की मृत्यु के बाद बाबर 11 वर्ष की आयु में फरगना का शासक बना। महत्वकांक्षी बाबर फरगना के छोटे राज्य से संतुष्ट न था। अतः उसने समरकंद पर अधिकार स्थापित करने का निश्चय किया।

बाबर की कितनी पत्नियां थी? – How many wives did Babur have?

मुगल बादशाह बाबर की कुल 11 शादियां हुई थी ।बाबर की कुल 11 पत्नियां थी। और उसके कुल 20 बच्चे थे। आयशा सुल्तान बेगम, जैनाब सुल्तान बेगम, मौसम सुल्तान बेगम, माहिम बेगम, गुलरूख बेगम,दिलदार बेगम, मुबारका युरुफजई और गुलनार अघाचा उसकी बेगम थी। माहम बेगम के पुत्र हुमायूं थे। जो आगे चलकर भारत का शासक बना था। बाबर ने हुमायूं को ही मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी बनाया था।

बाबर का प्रथम आक्रमण

उसने प्रथम बार सन 1496 ईस्वी में समरकंद पर आक्रमण किया। परंतु असफल रहा अगले वर्ष फिर 1497 ईस्वी में बाबर ने पुनः समरकंद पर चढ़ाई की और वहां पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। परंतु वह वहां पर ठहर न सका। सरदार शेबानी खां ने समरकंद एवं फरगना पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। समरकंद एवं फरगना दोनों उसके हाथ से निकल जाने के बाद निराश बाबर अपनी मातृभूमि से चल दिया और कुछ दिनों तक इधर-उधर भटकता रहा। भाग्य ने एक बार फिर उसका साथ दिया और उसने 1504 ईसवी मैं एक छोटी सेना की सहायता से काबुल को जीत लिया।

1505 ईस्वी उसने बादशाह की उपाधि प्राप्त की। उसने 1510 इ. में एक बार फिर समरकंद पर आक्रमण किया और विजय हुआ। परंतु कुछ दिनों बाद वह फिर वहां से निकाल दिया गया। अंत में बाबर ने पश्चिम की ओर से निराश होकर पूर्व में भारत की ओर बढ़ने का इरादा बना लिया। बाबर का भारत पर आक्रमण भारतवर्ष में उस समय दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी के दुर्व्यवहार से असंतुष्ट अफगान अमीर उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगे।

बाबर का भारत में आगमन – Babur’s Arrival in India

बाबर मध्य एशिया से निराश होकर भारत की ओर बढ़ने का इरादा कर ही रहा था कि पंजाब के सूबेदार दौलत खां तथा इब्राहिम के चाचा आलम खां ने बाबर को भारत पर चढ़ाई करने के लिए आमंत्रित किया था। बाबर तो ऐसे अवश्य की प्रतीक्षा में था। अतः सन 1525 ई. में एक विशाल सेना के साथ उसने भारत पर आक्रमण करने हेतु काबुल से प्रस्थान किया इसी बीच दौलत खान से उसकी अनबन हो गई। फलत: बाबर ने उस पर आक्रमण कर दिया और लाहौर पर अपना अधिकार कर लिया। बाबर का चरित्र मध्ययुगीन साम्राज्य निर्माताओं में बाबर का व्यक्तित्व अनुपम एवं अद्वितीय है उसमें मानवीय गुणों की बहुल तिथि अपने गुरु एवं पिता के प्रति सम्मान की भावना रखता था अपने पतियों एवं पुत्र के साथ दया और स्नेह का व्यवहार रखता था। अपनी सेना एवं मंत्री के प्रति उसका व्यवहार उदारता का था। धार्मिक दृष्टि से उधार था अन्य विजेताओं की तरह उसने महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार नहीं किया था। बाबर एक वरिष्ठ एवं साहसी व्यक्ति था। वह अपने बगल में दो व्यक्तियों को दबाकर दुर्ग की दीवार पर बड़ी सरलता से दौड़ सकता था। भारत में उसके रास्ते में जितनी भी नदिया पढ़ती थी उसने सबको तैरकर ही पार किया था।

पानीपत की लड़ाई

Who Was the First Ruler of the Mughal Empire?

आलम खान और दौलत खान ने बाबर को पानिपत की लड़ाई के लिए बुलाया था| बाबर ने लड़ाई में जाने से पहले 4 बार पूरी जांच पड़ताल की थी| इसी दौरान कुछ गुस्से में बैठे अफगानी लोगों ने बाबर को अफगान में आक्रमण करने के लिए बुलाया| मेवार के राजा राना संग्राम सिंह ने भी बाबर को इब्राहीम लोधी के खिलाफ खड़े होने के लिए बोला, क्यूंकि राना जी की इब्राहीम से पुरानी रंजिश थी| इन्ही सब के चलते बाबर ने पानीपथ में इब्राहीम लोधी को युध्य के लिए ललकारा| अप्रैल 1526 में बाबर पानीपत की लड़ाई जीत गया, अपने को हारता देख इस युद्ध में इब्राहीम लोधी ने खुद को मार डाला | सबको ये लगा था कि बाबर इस लड़ाई के बाद भारत छोड़ देगा लेकिन इसका उल्टा हुआ| बाबर ने भारत में ही अपना साम्राज्य फ़ैलाने की ठान ली| भारत के इतिहास में बाबर की जीत पानीपत की पहली जीत कहलाती है इसे दिल्ली की भी जीत माना गया| इस जीत ने भारतीय राजनीती को पूरी तरह से बदल दिया, साथ ही मुगलों के लिए भी ये बहुत बड़ी जीत साबित हुई|

बाबर की मृत्यु कैसे हुई और कब? – How and when did Babur die?

मरने से पहले बाबर पंजाब, दिल्ली, बिहार जीत चूका था| मरने से पहले उसने खुद की किताब भी लिखी थी जिसमें उसके बारे में हर छोटी बड़ी बात थी| बाबर का बीटा हुमायूँ था, कहते है जब वो 22 वर्ष का था तब एक भयानक बीमारी ने उसे घेर लिया, बड़े से बड़े वैद्य हकीम उसकी बीमारी को ठीक नहीं कर पा रहे थे सबका कहना था अब भगवान ही कुछ कर सकते है| बाबर हुमायूँ को बहुत चाहते थे, वे अपने उत्तराधिकारी को ऐसे मरते नहीं देख पा रहे थे| तब उन्होंने एक दिन हुमायूँ के पास जाकर भगवान से प्राथना की कि वो चाहें तो उसकी जान ले ले लेकिन हुमायूं को ठीक कर दे| उसी दिन से हुमायूँ की हालत सुधरने लगी| जैसे जैसे हुमायूँ ठीक होते गया बाबर बीमार होते गया| सबने इसे भगवान का चमत्कार ही समझा| 1530 में हुमायूँ जब पूरा ठीक हुआ बाबर को मौत हो गई| बाबर का अफगानिस्तान ले जाकर अंतिम संसस्कार हुआ| हुमायूँ इसके बाद मुग़ल शासक बने और दिल्ली की गद्दी पर राज्य किया|

 

 

 

 

READ MORE:

हुमायूं कौन था ? – Who Was Humayun ?

Who Was Humayun ?

Comments are closed.

Exit mobile version