Why Cursed the Cow:
भगवान श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वनवास जाने की बात सभी जानते हैं। इस बात से अयोध्यावासी दुखी थे। राजा दशरथ राम और लक्ष्मण के वियोग के दर्द को भी झेल नहीं सकें औप उनकी मृत्यु हो गई। पिता के निधन की खबर सुनकर भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण को गहरी ठेस पहुंची। बाद में उन्होंने जंगल में ही पिंडदान करने का फैसला लिया। इस बीच एक घटना घटित हुई। आइये जानते है इस आर्टिकल में कि क्या हुआ आगे।
जंगल में क्या हुआ – What Happened in the Forest
दोनों भाइयों ने जंगल में ही पिंडदान करने का फैसला लिया। पिंडदान के लिए दोनों भाई जंगल में ही आवश्यक सामग्री एकत्रित करने के उद्देश्य से निकल गए। पिंडदान का समय निकलता जा रहा था और दोपहर हो गई थी। माता सीता परेशान हो गई थी। तभी दशरथ की आत्मा ने पिंडदान की मांग कर दी। ऐसे में माता सीता ने अपने पिता समान ससुर दशरथ का पिंडदान उसी समय भगवान राम व लक्ष्मण के बिना करने का फैसला लिया। मजबूर होकर माता सीता ने फल्गु नदी के समीप , गाय और वट वृक्ष को साक्षी मानकर बालू का पिंड बनाकर पूरे विधि-विधान के साथ पिंडदान किया।
थोड़ी देर में भगवान राम और लक्ष्मण आए तो माता सीता ने कहा कि ‘आपको आने में देर होने की वजह से मैंने पिंड दान कर दिया।’ तब भगवान राम ने उनसे कहा कि ‘बिना सामग्री के पिंडदान कैसे हो सकता है?’
तब उन्होंने कहा कि उस समय पंडित, कौवा, केतकी के फूल ,फल्गु नदी और गाय उपस्थित थे। प्रभु आप साक्षी के तौर पर आप इन चारों से सच्चाई पूछ सकते हैं।
सीता जी ने गाय को श्राप क्यों दिया – Why Cursed the Cow
श्रीराम ने इस बात की पुष्टि के लिए जब पूछा तो सबने झूठ बोलते हुए इनकार कर दिया परंतु एक वट वृक्ष ने ही सच कहा कि आपकी अनुपस्थिति में माता सीता ने पिंडदान कर अपने धर्म का पालन किया है। महाराजा दशरथ की आत्मा ने भी यह स्वीकार किया कि विलंब होने की पुत्री सीता ने उन्हें पिंड दान कर दिया। तब राम और लक्ष्मण को यकीन आया तो वह प्रसन्न हुए।
इस बात से माता सीता ने वट वृक्ष को यह आशीर्वाद दिया कि ‘तुम्हारी आयु बहुत लंबी होगी। तुम लोगों को छाया प्रदान करोगे और पतिव्रता स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए तुम्हारी पूजा किया करेंगे।
माता सीता ने क्या श्राप दिया – What Curse did Mother Sita
झूठ बोलने पर माता सीता ने श्राप दिया। केतकी के फूल से कहा कि ‘तुम्हारा फूल कभी पूजा में चढ़ाया नहीं जाएगा।
पंडित को श्राप मिला कि पंडित को कितना भी मिलेगा लेकिन उसकी दरिदता कभी दूर नहीं होगी।
कौवे को कहा कि उसका अकेले खाने से कभी पेट नहीं भरेगा और आकस्मिक मृत्यु होगी।
फल्गु नदी को श्राप मिला कि पानी गिरने के बावजूद नही ऊपर से हमेशा सूखी ही रहेगी।
माता सीता ने गाय को श्राप दिया कि घर में पूजा होने के बाद भी गाय को हमेशा जूठन खाना पड़ेगा।
यही कारण है कि गाय के अंदर 33 कोटी देवताओं का निवास होने के बाद भी वह सड़कों पर भूखी प्यासी जूठन खाने को मजबूर है।
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