महिलाओं का सिंगार करना क्यू माना जाता है शुभ।

सजना सवरना किस महिला को पसंद नहीं होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोलह सिंगार का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है आइए हम जानते हैं उसके बारे में detail में।

आपको शायद जानकर हैरानी हो की सोलह शृंगार घर मे सुख और समृद्धि की लाने के लिए किया जाता है। शृंगार अगर पवित्रता और दिव्यता के हिसाब से किया जाए तो यह प्रेम और अहिंसा का सहायक बनकर समाज में सौम्यता और प्यार का वाहक बनता है। तभी तो भारतीय संस्कृति में सोलह शृंगार को जीवन का अहम और अभिन्न अंग माना गया है। ऋग्वेद में सौभाग्य के लिए किए जा रहे सोलह शृंगारों के बारे में बताया गया है। आईए जानते हैं श्रृंगार के बारे में कुछ रोचक तथ्य।
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१.  श्रृंगार: बिंदी
संस्कृत भाषा के बिंदु शब्द से बिंदी की उत्पत्ति हुई है। भवों के बीच रंग या कुमकुम से लगाई जाने वाली भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है। सुहागिन स्त्रियां कुमकुम या सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगाना जरूरी समझती हैं। इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
२.  : श्रृंगार: सिंदूर
उत्तर भारत में लगभग सभी प्रांतों में सिंदूर को स्त्रियों का सुहाग चिन्ह माना जाता है

३. श्रृंगार: मेहंदी
मेहंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। शादी के वक्त दुल्हन और शादी में शामिल होने वाली परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने पैरों और हाथों में मेहंदी रचाती है। ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है।

४.  श्रृंगार: मेहंदी
मेहंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। शादी के वक्त दुल्हन और शादी में शामिल होने वाली परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने पैरों और हाथों में मेहंदी रचाती है। ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है।

५.  श्रृंगार: शादी का जोड़ा
उत्तर भारत में आम तौर से शादी के वक्त दुल्हन को जरी के काम से सुसज्जित शादी का लाल जोड़ा (घाघरा, चोली और ओढ़नी) पहनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में फेरों के वक्त दुल्हन को पीले और लाल रंग की साड़ी पहनाई जाती है। इसी तरह महाराष्ट्र में हरा रंग शुभ माना जाता है और वहां शादी के वक्त दुल्हन हरे रंग की साड़ी मराठी शैली में बांधती हैं।

६.  श्रृंगार: गजरा
दुल्हन के जूड़े में जब तक सुगंधित फूलों का गजरा न लगा हो तब तक उसका श्रृंगार फीका सा लगता है। दक्षिण भारत में तो सुहागिन स्त्रियां प्रतिदिन अपने बालों में हरसिंगार के फूलों का गजरा लगाती है।

हमारे हिंदू धर्म में उल्लेख है की जब सुदामा जी अपने मित्र श्री कृष्ण से मिलने गए थे तब साक्षात माता लक्ष्मी जी सुदामा जी के घर प्रकट हुईं थी और उन्होंने सुदामा जी पत्नी को अपने तेज से उन्हें बेहद सुंदर बनाया और कहा साग सिंगार करना स्त्री का हक है और जिस घर की औरते बेहद सुखी और सोलह श्रृंगार किया करेंगी वहां धन समृद्धि की कभी कोई कमी नहीं होगी। इसलिए हमे हमारे घर की स्त्री को हमेशा खुश रखना चाहिए।

Maheshkumar

Hii ! Mai hu Maheshkumar aapka dost or iss site ka host. Toh Aayiye apne sab miljul kar 'Hindi' me gupsup karte or apne desh ki Bhasha ko pure world me faila dete hai. Aap Mujhse kuchh sawal kijiye or badle me hum kuchh jabab denge or ye Gupsup yun hi chalati rahegi...

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