काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद मंदिर को 60 किलोग्राम सोने से मंडित कराया गया है। 18 फरवरी को मंगला आरती के बाद से बाबा विश्वनाथ अगले 45 घंटे तक जागकर भक्तों को दर्शन देंगे।
Baba Vishwanath give darshan to next 45 hours
महाशिवरात्रि पर स्वर्णमंडित मंडप में बाबा विश्वनाथ का विवाहोत्सव मनाया जाएगा। काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद मंदिर को 60 किलोग्राम सोने से मंडित कराया गया है। 18 फरवरी को मंगला आरती के बाद से बाबा विश्वनाथ अगले 45 घंटे तक जागकर भक्तों को दर्शन देंगे।
बाबा विश्वनाथ अगले 45 घंटे तक जागकर भक्तों को देंगे दर्शन – Baba Vishwanath give darshan to next 45 hours
वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम में बाबा की एक झलक पाने के लिए रात से ही भक्तों की लंबी कतार लगी है। काशी के सभी शिवालयों में आज उत्सव मनाया जा रहा है।
खुले मंदिर के कपाट
3:30 बजे मंगला आरती के पूर्ण होने पर खुले मंदिर के कपाट
06 लाख से अधिक शिवभक्तों के बाबा दरबार में हाजिरी लगाने का है अनुमान
45 घंटे तक लगातार बाबा विश्वनाथ देंगे शिवभक्तों को दर्शन
04 प्रवेश द्वार से भक्तों को मिलेंगे बाबा विश्वनाथ के झांकी दर्शन
आज शिव की नगरी शिवभक्तों से बम-बम रहेगी। बाबा विश्वनाथ के धाम में भक्तों के दर्शन का नया रिकॉर्ड बनेगा। मंदिर प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के भीड़ प्रबंधन के लिए धाम के चौक क्षेत्र में श्रद्धालुओं की कतार लगाई गई है। गोदौलिया से मैदागिन तक जगह-जगह स्टील की बैरिकेडिंग की गई है और बांस-बल्लियों को भी गलियों के मुहाने पर लगाया गया।
शिवगण लगाएंगे जी-20 के राष्ट्राध्यक्ष का मास्क
शिव बरात में जी-20 के राष्ट्राध्यक्ष का मास्क लगाकर और झंडा लेकर शिवगण शामिल रहेंगे। 15 फीट लंबा और आठ फीट ऊंचा जी-20 का प्रतीक चिह्न भी बरात के साथ ही चलेगा। ये पहला मौका होगा जब शिव बरात के 41वें साल में प्रतीक शिवलिंग के स्थान पर पंचबदन शिव प्रतिमा को शामिल किया जाएगा।
क्यों कहा जाता है मासशिवरात्रि का व्रत ?
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार इस वर्ष शनिवार 18 फरवरी को शाम 5:43 मिनट से चतुर्दशी तिथि लग रही है, जो रविवार 19 फरवरी को अपराह्न 3:19 मिनट तक रहेगी। इसलिए 18 को अर्द्धरात्रिव्यापिनी चतुर्दशी प्राप्त होने से 18 फरवरी को ही महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं अर्थात शिव की तिथि चतुर्दशी है। इसलिए प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में शिवरात्रि व्रत होता है, जो मासशिवरात्रि व्रत कहलाता है।
शिवलोक को देने वाली शिवरात्रि
शिवभक्त प्रत्येक चतुर्दशी का व्रत करते हैं लेकिन फाल्गुन कृष्णपक्ष चतुर्दशी को अर्द्धरात्रि में फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि। शिवलिङ्गतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ। ईशान संहिता के इस वाक्य के अनुसार ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। ये व्रत सभी कर सकते हैं। इसे न करने से दोष लगता है।
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