रुद्राक्ष पहनना प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते है रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नियम – Benefits and Rules of Wearing Rudraksha. इसके महान उपचार और वैज्ञानिक गुणों के कारण यह न केवल बड़े से बड़ा रोग ठीक कर सकता है, बल्कि हमारे मन और शरीर पर भी अच्छा प्रभाव डालता है। इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा के वैज्ञानिकों के अनुसार, रुद्राक्ष मास्तिष्क के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पॉवर होती है, जिसके चलते यह हमारे शरीर पर जादुई रूप से काम करता है।
Benefits and Rules of Wearing Rudraksha
पारंपरिक रूप से, मालाओं को हमेशा ऐसे लोगों के द्वारा बेचा जाता था जो इसे अपने जीवन के एक पवित्र कर्तव्य की तरह मानते थे। पीढ़ियों से उन्होंने सिर्फ यही किया। इसी से उन्होंने अपनी जीविका चलाई। लेकिन मूल रूप से, इसे लोगों को देना एक पवित्र कर्तव्य की तरह था। लेकिन जब मांग बहुत बढ़ गई, तो व्यापार बीच में आ गया। आज भारत में एक और मनका उपलब्ध है जिसे भद्राक्ष करते हैं और यह जहरीला बीज है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार और उन इलाकों में काफी उगता है। देखने में ये दोनों बीज एक से दिखते हैं। आप अंतर पता नहीं कर सकते। अगर आप इसे हाथ में लेते हैं, और अगर आप संवेदनशील हैं, सिर्फ तभी आपको अंतर पता चलेगा। इसे शरीर पर नहीं पहनना चाहिए, लेकिन इन्हें कई जगहों पर असली मनकों की तरह बेचा जा रहा है। तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी माला एक विश्वसनीय स्रोत से प्राप्त करें।
रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नियम:
रुद्राक्ष क्या है?
रुद्राक्ष एक खास तरह के पेड़ का बीज है। ये पेड़ आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में एक खास ऊंचाई पर, खासकर हिमालय में पाए जाते हैं। अफसोस की बात यह है लंबे समय से इन पेड़ों की लकड़ियों का रेल की पटरी के नीचे बिछाने में इस्तेमाल होने की वजह से, आज देश में बहुत कम रुद्राक्ष के पेड़ बचे हैं। आज ज्यादातर रुद्राक्ष के पेड़ नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया में पाए जाते हैं। दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट के कुछ इलाकों में भी ये पेड़ हैं, लेकिन सबसे अच्छी गुणवत्ता के रुद्राक्ष हिमालय में एक ऊंचाई के बाद मिलते हैं क्योंकि मिट्टी, वातावरण और हर चीज का प्रभाव इस पर पड़ता है। इन बीजों में एक बहुत विशिष्ट स्पंदन होता है।
दुनिया में लगभग 90 प्रतिशत लोग खराब जीवनशैली के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से परेशान हैं। भागदौड़ भरी जिन्दगी में हाइपरटेंशन, दिल और मानसिक रोगों का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं की एक ही वजह है, हमारे मन, आत्मा और शरीर के बीच असंतुलन। प्राचीन ग्रंथों में इस असुंतलन को दूर करने का एक ही उपाय बताया गया है वो है रुद्राक्ष।
रुद्राक्ष धारण करने के 6 फायदे (Benefits of Rudraksha)
1.इसे धारण करने से तमाम तरह की शारीरिक समस्याएं दूर हो जाती हैं।
2.ह्रदय रोग से पीड़ित लोगों को रुद्राक्ष पहनने से बहुत लाभ होता है, ये बात वैज्ञानिक भी सिद्ध कर चुके हैं।
3. रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
4.रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है साथ ही वो भाग्यशाली भी बनते हैं।
5.पंचमुखी रुद्राक्ष सुरक्षित होता है और यह पुरुषों, महिलाओं और बच्चों, हर किसी के लिए अच्छा है। यह समान्य खुशहाली, स्वास्थ्य और स्वतंत्रता के लिए है। यह आपके ब्लड प्रेशर को कम करता है, आपकी तंत्रिकाओं को शांत करता है और स्नायु तंत्र में एक तरह की शांति और सतर्कता लाता है।
6.गौरी-शंकर एक खास किस्म का रुद्राक्ष होता है जो आपकी ईडा और पिंगला के बीच संतुलन लाता है। आम तौर पर, लोग मानते हैं कि यह उनके लिए संपन्नता लाएगा। संपन्नता का मतलब जरूरी नहीं कि बस पैसा ही हो। यह कई तरीकों से आ सकती है। हो सकता है कि आपके पास कुछ न हो, लेकिन फिर भी आप अपने जीवन में संपन्न हो सकते हैं। अगर आप एक संतुलित व्यक्ति हैं और आप अपने जीवन में समझदारी से काम करते हैं, तो संपन्नता आ सकती है। यह तब होता है जब ऊर्जाएं अच्छे से काम करती हैं। एक गौरी-शंकर आपकी ईडा और पिंगला को संतुलित और सक्रिय बनाता है।
रुद्राक्ष पहनने के नियम (11 Rules of Rudraksha wearing)
1.रुद्राक्ष को कभी भी काले धागे में धारण नहीं करना चाहिए इसे हमेशा लाल या पीले रंग के धागे में ही धारण करें।
2.रुद्राक्ष बेहद पवित्र होता है इसलिए इसे कभी अशुद्ध हाथों से न छुएं और स्नान करने के बाद शुद्ध होकर ही इसे धारण करें।
3.रुद्राक्ष धारण करते समय शिव जी के मंत्र ऊं नमः शिवाय का उच्चारण करना चाहिए।
4.स्वयं का पहना हुआ रुद्राक्ष कभी भी किसी दूसरे को धारण करने के लिए नहीं देना चाहिए।
5.यदि आप रुद्राक्ष की माला बनवा रहे हैं तो हमेशा ध्यान रखें कि विषम संख्या में ही रुद्राक्ष धारण करें।
6.रुद्राक्ष कलाई, गले और ह्रदय पर ही पहना जाता है। इसे गले में धारण करना सबसे अच्छा माना जाता है।
7. हाथ पर 12, गले पर 36 और ह्रदय पर 108 दाने धारण किए जाते हैं।
8. रुद्राक्ष का एक दाना भी धारण किया जा सकता है, पर दाना ह्रदय तक, लाल धागे में लटका होना चाहिए।
9. इसे धारण करने का सबसे शुभ मुहूर्त शिवरात्रि, सावन का महीना या सोमवार का दिन माना जाता है।
10.रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए और उसी माला पर मंत्रों का जाप करना चाहिए।
11.इसे पहनने वाले लोगों को सात्विक रहना चाहिए और मांसाहारी भोजन नहीं खाना चाहिए।
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