History of Buland Darwaza.
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी में स्थित है विश्व का सबसे बड़ा दरवाजा ‘बुलंद दरवाजा’। इसका निर्माण मुगल साम्राज्य के सबसे महान बादशाह माने जाने वाले अकबर ने साल 1602 में करवाया था। ये स्मारक विश्व का सबसे बड़ा दरवाजा होने के साथ हिन्दू और फारसी स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना भी है।बुलन्द दरवाजा अकबर के विशाल और वैभवशाली साम्राज्य की गाथा बयां करता हैं। फ़तेहपुर सीकरी में अकबर के समय के अनेक भवनों, प्रासादों तथा राजसभा के भव्य अवशेष आज भी वर्तमान हैं। यूनेस्को ने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी को विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया हुआ है।
बुलंद दरवाजे का इतिहास – History of Buland Darwaza
अकबर द्वारा गुजरात पर विजय प्राप्त करनी की स्मृति में बनवाए गए इस प्रवेश द्वार के पूर्वी तोरण पर फारसी में शिलालेख अंकित है जो 1601 में दक्कन पर अकबर की विजय अभिलेख है। 42 सीढ़ियों के ऊपर स्थित बुलंद दरवाजा 53.63 मीटर ऊंचा और 35 मीटर चौड़ा है। यह लाल बलुआ पत्थर से बना है जिसे सफेद संगमरमर से सजाया गया है। दरवाजे के आगे और स्तंभों पर कुरान की आयतें खदी हुई है। यह दरवाजा एक बड़े आंगन और जामा मस्जिद की ओर खुलता है। समअष्टकोणीय आकार वाला दरवाजा गुंबदो और मीनारों से सजा हुआ है।
बुलंद दरवाजे पर बना पारसी शिलालेख अकबर के खुले विचारों को दर्शाता है और इतिहासकारों द्वारा अक्सर ही यह विविध परंपराओं और संस्कृति के उदाहरण के रूप में उपयोग किया जाता है। बुलंद दरवाजे के तोरण पर ईसा मसीह से संबंधित बाइबल की कुछ पंक्तियां भी लिखी गई हैं। बुलंद दरवाजे पर बाइबल की इन पंक्तियों की उपस्थिति को अकबर को धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक माना जाता है। शांतिपूर्ण दृश्यों का अनुभव करने और दीवारों पर बनी सुंदर कलाओं को देखने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग यहां आते हैं।
बुलंद दरवाजा किसने और कब बनवाया था?
सन 1601 में मुग़ल शासक सम्राट अकबर ने फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा बनवाया था।
बुलंद दरवाजा की ऊंचाई कितनी है?
बुलंद दरवाजा की ऊंचाई 54 मीटर जो कि दुनिया के सबसे ऊंचे प्रवेश द्वार में से एक है। 15 मंजिला भव्य प्रवेश द्वार सम्राट अकबर की महानता और सफलता का इतिहास बयान कर रही है।
बुलंद दरवाजा पर शिलालेख – Inscription on Buland Darwaza
इस शाही प्रवेश द्वार के पूर्वी मेहराब पर एक फारसी शिलालेख है जो उत्तर प्रदेश और गुजरात पर महान मुगल सम्राट अकबर की विजय की बात करता है। उनकी धार्मिक सहिष्णुता एक अन्य शिलालेख से प्रकट होती है जो प्रवेश द्वार के केंद्रीय भाग पर लिखा गया है। यह एक इस्लामी शिलालेख है जो फारसी में उकेरा गया है। जो अपने अनुयायियों को ईसा मसीह की सलाह को स्पष्ट करता है। पवित्र कुरान के छंदों से युक्त एक अन्य शिलालेख भी प्रवेश द्वार में पाया जाता है जो कि चिश्ती आदेश की सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के शिष्य ख्वाजा हुसैन चिश्ती द्वारा खींचा गया था।अरबी वर्णमाला में लिखने के लिए एक विशिष्ट सुलेख शैली, नस्क में खुदी गई है।
बुलंद दरवाजे के बारे में 7 रोचक तथ्य।
1.बुलंद दरवाजे को 1602 ईस्वी में अकबर ने अपनी गुजरात विजय के स्मारक के रूप में बनवाया था।
2.मुगलकालीन धरोहर बुलंद दरवाजे के निर्माण में 12 वर्षों का समय लगा था।
3.52 सीढ़ियों के पश्चात दर्शक दरवाजे के अंदर पहुंचता है।
4.बुलंद दरवाजे में बुलंद दरवाजे में लगभग 400 साल पुराने आबनूस से बने विशाल किवाड़ आज भी ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।
5.बुलंद दरवाजे के पास लंगरखाने में खुदाई के दौरान एक सीढ़ी निकली। इसके बाद जब अंदर तक देखा गया तो एक सुरंग मिली है, हालांकि खुदाई पूरी होने के बाद ही रहस्य सामने आ पाएगा। ऐसा अनुमान है कि सुरंग का दूसरा सिरे किले के बाहर निकलेगा। ऐसा माना जा रहा है कि इस सुरंग के जरिये किले से खजाना निकालने का काम होता होगा।
6.उत्तर प्रदेश द्वारा संरक्षित इस इमारत का प्रवेश शुल्क भारतीय लोगों के ₹50 और विदेशी पर्यटकों के लिए 485 रुपए प्रति व्यक्ति है।
7.इसके खुलने का समय सुबह 8:00 बजे और बंद होने का समय शाम 7:00 बजे है।
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