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फतेहपुर सीकरी का इतिहास – History of Fatehpur Sikri

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक मशहुर शहर है नाम है फतेहपुर सीकरी। आज हम इस Article फतेहपुर सीकरी का इतिहास – History of Fatehpur Sikri के बारे में जानेंगे।

यह आगरा से 40 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में स्थित है। सम्राट अकबर ने 1571 में मुगल साम्राज्य की राजधानी के रूप में इस शहर की स्थापना की थी। यह 1571 से 1585 तक अकबर की राजधानी रही।लेकिन पंजाब में अभियान के कारण अकबर ने इसे 1610 में पूरी तरह छोड़ दिया। फतेहपुर सीकरी में कई प्राचीन धरोहर और अकबर के द्वारा बनाए गए कई किले हैं। जो आज भी उसी अवस्था में मौजूद है। इस शहर का नाम एक इतिहास है यही कारण है कि लोग मुगलकालीन किलो, दरगाहो और अन्य स्थलों को देखने के लिए दूर से आते हैं। चलिए आज हम फतेहपुर सीकरी के इतिहास को जानेंगे।

फतेहपुर सीकरी का इतिहास – History of Fatehpur Sikri

फतेहपुर सीकरी का इतिहास - History of Fatehpur Sikri
History of Fatehpur Sikri

 

History of Fatehpur Sikri

फतेहपुर सीकरी का नाम कैसे पड़ा?

फतेहपुर सीकरी का नाम अरबी मूल से लिया गया है।यहां सीकरी नामक एक गाँव पहले से ही मौजूद था, जिसके नाम पर इस शहर का नाम फतेहपुर सीकरी पड़ा। इस गांव पर पहले से ही किसी का कब्जा था। फतेह का अर्थ है “जीत”और सीकरी का अर्थ “भगवान को धन्यवाद देना”। इस शहर का नाम फतेहबाद हुआ करता था जिसे बादशाह अकबर ने दिया था। इस नाम का अर्थ है “जीत का शहर”। जहांगीर के दूसरे जन्मदिन पर उन्होंने एक शाही महल का निर्माण शुरू किया जिसमें फतेहबाद और सिकरीपूरी नाम शामिल था। इस तरह फतेहबाद को फतेहपुर सीकरी कर दिया गया था।

फतेहपुर सीकरी की सुंदरता

लाला बलुआ पत्थर से निर्मित फतेहपुर सीकरी सुंदरता का एक बेहतरीन नमूना है। यह स्थान इतना सुंदर है जिसको देखने के लिए बड़ी तादाद में पर्यटक आते हैं। यह शहर भारत में मुगल वास्तुकला का एक प्रमुख उदाहरण है और इसमें कुछ उत्कृष्ट स्मारक हैं जो देखने लायक हैं। कभी मुगल साम्राज्य की राजधानी माने जाने वाले इस मध्यकालीन शहर का मुगलों के इतिहास में एक विशेष स्थान है, जिसे 1986 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया था। भारत के अलग शहरों के तुलना में फतेहपुर सीकरी का कई समारकों बेहद ही आकर्षक है। स्थापत्य उत्कृष्टता के साथ साथ धार्मिक विश्वासों का एक अनूठा मिश्रण फतेहपुर सीकरी को सारांशित करता है। यह जादुई शहर में मुगल वास्तुकला को देखने के लिए पर्यटकों एक बार नहीं बार बार जाने का मन करते हैं।

फतेहपुर का राजा कौन था?

फतेहपुर सीकरी का राजा मुगल साम्राज्य अकबर था।

फतेहपुर सीकरी का पुराना नाम क्या है?

आपको बता दें, शहर का पुराना नाम फतेहबाद हुआ करता था, जिसे बादशाह अकबर ने दिया था, इस नाम का अर्थ है ‘जीत का शहर’। जहांगीर के दूसरे जन्मदिन पर उन्होंने एक शाही महल का निर्माण शुरू किया, जिसमें फतेहबाद और सिकरीपुरी नाम शामिल था। इस तरह फतेहबाद को फतेहपुर सिकरी कर दिया गया।

फतेहपुर सीकरी में घूमने योग्य जगह कौन-कौन से हैं?

इसमें हमने आपको ऊपर बताया है कि फतेहपुर सीकरी का नाम कैसे पड़ा? उसकी सुंदरता, उसका राजा कौन था?और फतेहपुर सीकरी का पुराना नाम क्या है?इस पोस्ट में आपको बताया है। लेकिन फतेहपुर सीकरी में घूमने की और भी बहुत सी जगह है जैसे कि अनूप तलाव, फतेहपुर सिकरी का पंच महल, दीवाने खास, बुलंद दरवाजा, जामा मस्जिद इत्यादि जगह है जहां हम घूमते हैं।

फतेहपुर सीकरी में घूमने योग्य जगह –

अनूप तलाव फतेहपुर सीकरी

फतेहपुर सीकरी का इतिहास - History of Fatehpur Sikri
Anup Talav

यह फतेहपुर सीकरी का अनूप तलाव है। जिस के बीचो बीच रेड सैंड स्टोन का बना चबूतरा है। तालाब के चारों किनारे से चबूतरे तक पहुंचने के लिए पत्थरों के पाथवे बने हैं। मुगल काल में शहंशाह अकबर द्वारा इसी चबूतरे पर संगीत की महफिल का आयोजन किया जाता था। संगीत सम्राट तानसेन इसी चबूतरे पर बैठकर राग अलाप करते थे। अनूप तलाव की वर्षों से सफाई नहीं होने से उसमें भरा हुआ पानी गंदा हो गया है स्मारक की छवि खराब होती दिख रही है। एआईएस ने तालाब के चारों और लकड़ी की रेलिंग बनवा दी है तथा इस तालाब के गंदे पानी को साफ कर दिया गया है जिससे इसकी सुंदरता आप भी मौजूद है।

 फतेहपुर सीकरी का पंचमहल

फतेहपुर सीकरी का इतिहास - History of Fatehpur Sikri
Fatehpur Sikri Panch Mahal

पंचमहल एक विस्तृत और स्तंभयुक्त पांच मंजिला इमारत है।जो राजा अकबर ने खुशी के रूप में बनवाया था ।वह इसका उपयोग आराम करने और मनोरंजन के लिए किया करते थे। ओपन साइडेड थीम पर बने इस महल का प्रत्येक फ्लोर निचले फ्लोर से छोटा है। और प्रत्येक फ्लोर विषम खंडों पर खड़ा है। यह महल सम्राट की रानियों और राजकुमारियों के लिए विशेष रूप से योजनाबंध किया गया था। अंदर से शो देखने वाली महिलाओं के लिए एक विशेष स्क्रीन लगाई गई थी। यह अनूप तलाव के पास स्थित है।

 फतेहपुर सीकरी का दीवान ए खास

फतेहपुर सीकरी का इतिहास - History of Fatehpur Sikri
History of Fatehpur Sikri – Divan e Khas

आगरा किले में स्थित दीवान ए खास का निर्माण दीवान ए आम की तरह ही मुगल बादशाह शाहजहां ने 1935 मे करवाया था दीवान ए आम के विपरीत इसका प्रयोग विशिष्ट लोगों के लिए किया जाता था। दीवान ए खास का निर्माण विदेशी उच्च पदाधिकारी राजदूत और राजाओं की खातिरदारी के लिए किया गया था। साथ ही यहां पूर्ण गोपनीयता के साथ साम्राज्य के बारे में चर्चा की जाती थी। यही वजह है कि मुगल काल में दीवान ए खास सत्ता का वास्तविक केंद्र हुआ करता था। हॉल में बने चबूतरे में दो भव्य सिंहासन हुआ करता था।

 बुलंद दरवाजा फतेहपुर सीकरी

फतेहपुर सीकरी का इतिहास - History of Fatehpur Sikri
History of Fatehpur Sikri – Buland Daravaja

बुलंद दरवाजा फतेहपुर सीकरी में मचान प्रवेश द्वार 1601 मे महान मुगल सम्राट अकबर द्वारा बनवाया गया था। अकबर ने गुजरात पर अपनी जीत के उपलक्ष में बुलंद दरवाजा बनवाया था। बुलंद दरवाजा 42 सीढ़ियों और 53.63 मीटर ऊंचा और 35 मीटर चौड़ा दुनिया का सबसे ऊंचा प्रवेश द्वार है। और मुगल वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है।

 फतेहपुर सीकरी का जामा मस्जिद

फतेहपुर सीकरी का इतिहास - History of Fatehpur Sikri
History of Fatehpur Sikri

जामा मस्जिद भारत के उत्तर प्रदेश में फतेहपुर सीकरी की यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में 16वीं शताब्दी की एक जामा मस्जिद है। मुगल सम्राट अकबर द्वारा निर्मित यह भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है ।यह आगरा जिले के सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है।

 

 

 

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