History of Jal Mahal:
राजस्थान की राजधानी जयपुर के कई फेमस जगहों में से एक है जल महल। बड़े पैमाने में पर्यटक यह घूमने आते है और यहां सैर करते है। जलमहल जयपुर के मानसागर झील के मध्य स्थित अरावली पहाडिय़ों के गर्भ में बसा सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। वैसे इसे ‘रोमांटिक महल’ के नाम से जाना जाता था। अभी जहाँ झील है, वहाँ कभी डाउन स्ट्रीम क्षेत्र हुआ करता था। यहाँ से पहाड़ और झील का ख़ूबसूरत नज़ारा भी देखा जा सकता है। आइये जानते है हमारे इस आर्टिकल में जयपुर के जलमहल का क्या इतिहास और क्या विशेषताएं है।
जल महल का इतिहास – History of Jal Mahal
1596 ई. में गंभीर अकाल पडने पर तत्कालीन अजमेर के शासक ने पानी की कमी को दूर करने के लिए बांध का निर्माण करवाया था। ताकि पानी को जमा किया जा सके। बाँध को बाद में 17वीं सदी में एक पत्थर की चिनाई संरचना में परिवर्तित किया था। यूं तो जल महल का निर्माण 1799 में हुआ था।
इसके निर्माण के लिए राजपूत शैली से तैयार की गई नौकाओं की मदद ली गई थी। लेकिन इस महल का जीर्णोद्धार महाराजा जयसिंह ने करवाया था। यहाँ के राजा इस महल को अपने रानी के साथ ख़ास वक्त बिताने के लिए इस्तेमाल करते थे। चांदनी रात में इस महल का ख़ूबसूरत नज़ारा झील के पानी में देखा जा सकता है। यूं तो राजा इसका इस्तेमाल रॉयल पार्टी देने के लिए भी करते थे, लेकिन यह कभी जयपुर स्टेट के राजा का घर भी हुआ करता था।
जल महल की विशेषता – Specialty of Jal Mahal
महल की ख़ासियत यह है कि यहाँ गर्मी नहीं लगती, क्योंकि इसके कई तल पानी के अंदर बनाए गए हैं। यहाँ से पहाड़ और झील का ख़ूबसूरत नज़ारा भी देखा जा सकता है।
जयपुर- आमेर मार्ग पर मानसागर झील के मध्य स्थित इस महल का निर्माण सवाई जयसिंह ने अश्वमेध यज्ञ के बाद अपनी रानियों और पंडित के साथ स्नान के लिए करवाया था। इससे पूर्व जयसिंह ने जयपुर की जलापूर्ति हेतु गर्भावती नदी पर बांध बनवाकर मानसागर झील का निर्माण करवाया।
जलमहल मध्यकालीन महलों की तरह मेहराबों, बुर्जी, छतरियों एवं सीढीदार जीनों से युक्त दुमंजिला और वर्गाकार रूप में निर्मित भवन है।
इसकी उपरी मंज़िल की चारों कोनों पर बुर्जो की छतरियाँ व बीच की बरादरिया, संगमरमर के स्तम्भों पर आधारित हैं। जलमहल अब पक्षी अभ्यारण के रूप में भी विकसित हो रहा है।
नर्सरी में 1 लाख से अधिक वृक्ष –
जल महल के नर्सरी में 1 लाख से ज्यादा वृक्ष लगे हुए हैं। ये वृक्ष यहां के वादियों को प्रदूषण मुक्त बनाते हैं। जल महल आपकी थकान मिटाता है। यूं तो जल महल का नर्सरी काफ़ी पुराना है लेकिन दिन रात 40 माली पेड़ पौधों की देखभाल में लगे रहते हैं।
यहां आप अरावली प्लांट, ऑरनामेंटल प्लांट, शर्ब, हेज और क्रिपर की हजारों विभिन्नताएँ देख सकते हैं। यहां की नर्सरी की ख़ासियत यह है कि यहां बहुत से पेड़ जो 150 साल पुराने हैं उन्हें ट्रांसप्लांट कर नया जीवन दिया गया है।
सबसे उंचे वृक्षों वाला नर्सरी –
जल महल के इस नर्सरी का विकास महल की ख़ूबसूरती को बढ़ाने के लिए किया गया है। यह नर्सरी राजस्थान का सबसे उंचे पेड़ों वाला नर्सरी है। यहां पेड़ों की संख्या 1 लाख से ज्यादा है। जल महल रिसोर्ट के सूचना अधिकारी का कहना है कि हर साल यहां डेट पाम, चाइना पाम और बुगनबेलिया जैसे शो प्लांट को ट्रांसप्लांट किया जाता है।
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