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होलिका दहन कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि – Holika Dahan kab hai

Holika Dahan kab hai:

होलिका दहन 06 या 07 मार्च कब है ? होलिका दहन छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है।  होलिका दहन के दिन महिलाएं घर में सुख शांति के लिए पूजा करती हैं। होलिका दहन का यह दिन बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।आइये जानते है होलिका दहन कब है (Holika Dahan kab hai)और कब मनाई जाएगी।

होलिका दहन कब है? (Holika Dahan kab hai)

 होलिका दहन कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि - Holika Dahan kab hai
Holika Dahan kab hai

खुशियों और रंगों भरा त्योहार होली आने वाला है। इस साल होलिका दहन 7 मार्च को है। उसके अगले दिन 8 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी। होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि होलिका दहन पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में की जाए तो सबसे शुभ होता है। इस दौरान भद्रा मुख को त्याग करके रात के समय होलिका दहन करना शुभ होता है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Holika Dahan ka Shubh Muhurat)

 होलिका दहन कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि - Holika Dahan kab hai
Holika Dahan kab hai

इस बार होलिका दहन 07 मार्च को होगा और 8 मार्च को होली खेली जाएगी। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 मार्च को शाम 04 बजकर 17 मिनट पर होगी और इसका समापन 07 मार्च को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगी। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 07 मार्च, मंगलवार को शाम 06 बजकर 24 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। भद्रा काल का समय 06 मार्च को शाम 04 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगा और 07 मार्च को सुबह 05 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा।

होलिका दहन की पूजन विधि (Holika Dahan ki  Pujan Vidhi)

 होलिका दहन कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि - Holika Dahan kab hai
Holika Dahan kab hai

होलिका दहन के दिन होली का पूजा के बाद जल अर्पित करें। इसके बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार अपने घर के किसी बड़े बुजुर्ग व्यक्ति से होलिका की अग्नि प्रज्वलित करवाएं। होलिका की अग्नि में फसल सेंके और मुमकिन हो तो इसे अगले दिन सपरिवार ग्रहण अवश्य करें। कहा जाता है होलिका दहन के दिन किया जाने वाला यह उपाय जो कोई भी व्यक्ति करता है। उसके जीवन में निराशा और दुख का साया नहीं आता है। साथ ही उस व्यक्ति के परिवार के सभी लोग हमेशा रोगों से मुक्त स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीते हैं।

होलिका दहन की सामग्री (Holika Dahan Pujan Samagri)

होलिका दहन की पूजा कुछ विशेष चीजों के बगैर बिल्कुल अधूरी मानी जाती है। इसलिए पूजा से पहले इन चीजों की व्यवस्था अवश्य कर लें। इसमें एक कटोरी पानी, गोबर के उपलों से बनी माला, रोली, अक्षत, अगरबत्ती, फल, फूल, मिठाई, कलावा, हल्दी का टुकड़ा, मूंग दाल, बताशा, गुलाल पाउडर, नारियल साबुत अनाज आदि होने चाहिए।

होलिका दहन का महत्व (Holika Dahan Mahatv)

घर में सुख शांति और समृद्धि के लिए होलिका दहन के दिन महिलाएं होली की पूजा करती हैं। होलिका दहन की पूजा काफी लंबे समय से शुरू की जाती है। होलिका दहन के लिए बहुत दिनों पहले से ही लोग लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। इन लकड़ियों को इकट्ठा करके एक गट्ठर के रूप में रखा जाता है और फिर होलिका दहन के शभ महर्त में इसे जलाया और फिर होलिका दहन के शुभ मुहूर्त में इसे जलाया जाता है। होलिका दहन का यह दिन बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।

होलिका दहन की कथा (Holika dahan ki Katha)

 होलिका दहन कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि - Holika Dahan kab hai
Holika Dahan kab hai

पुराणों के अनुसार, दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान के अलावा किसी अन्य को नहीं मानता तो वह क्रुद्ध हो उठा। उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गयी। भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं।

 

 

 

 

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