छठ पूजा क्यों मनाई जाती है – Importance of Chhath Puja

छठ पूजा के दिन सूर्य देवता और छठी मईया की पूजा विधि विधान से की जाती है, लेकिन क्‍या आप जानते हैं – Importance of Chhath Puja इस पर्व को कब से मनाना शुरू किया गया। भगवान सूर्य की आराधना कब से की जाने लगी। इसका इतिहास बहुत ही पुराना बताया जाता है। पौराणिक मान्‍यताओं के मुताबिक, छठ पूजा को सतयुग से जोड़ कर देखा जाता है। ऐसी कई कथा मिलती है जिसमें राजा प्रियवंद, भगवान राम, पांडवों के अलावा दानवीर कर्ण की कहानी का जिक्र मिलता है, तो चलिए छठ के शुभ अवसर पर इन कहानियों के बारे में जानते हैं।

Importance of Chhath Puja

छठ पूजा एक हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा पर्व है। इस पर्व की धूम धाम बिहार में देखी जाती है। माना जाता है कि यह पर्व वैदिक काल से चला आ रहा है। छठ पूजा पर्व का उल्लेख रामायण एवं महाभारत में भी मिलता है अर्थात यह पर्व रामायण काल एवं महाभारत काल से चला आ रहा है। छठ पूजा में मुख्य रूप से सूर्य की उपासना की जाती है। लेकिन बाकी हिन्दू पर्वों की तरह इसमें मूर्ति पूजा शामिल नहीं है। बिहार में हिन्दू धर्मावलंबियों के अलावा इस्लाम एवं अन्य धर्म के लोग भी मनाते हैं। इस पर्व के पीछे कुछ पौराणिक मान्यताएं हैं और इससे जुड़ी बहुत सी कथाएं भी प्रचिलित हैं।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है? – Why Chhath Puja is Celebrated?

छठ पूजा महत्व (Importance of Chhath Puja)

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है - Importance of Chhath Puja
Importance of Chhath Puja

छठ पूजा के दौरान भगवान सूर्य और छठी मैया से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महिलाएं 36 घंटे तक उपवास रखती हैं। छठ के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है। भक्त गंगा नदी जैसे पवित्र जल में स्नान करते हैं, छठ का पालन करने वाली महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भक्त भगवान सूर्य के लिए प्रसाद तैयार करते हैं। दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है। महिलाएं इन दिनों एक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं। इसके साथ ही चौथे दिन (उषा अर्घ्य) महिलाएं पानी में खड़े होकर उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं और फिर अपना 36 घंटे का उपवास तोड़ती हैं।

छठ पूजा इतिहास। Chhath Puja History

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है - Importance of Chhath Puja
Importance of Chhath Puja

छठ पूजा की उत्पत्ति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, और कुछ का उल्लेख ऋग्वेद ग्रंथों में भी मिलते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्रौपदी और पांडव अपने राज्य को पुनः प्राप्त करने और अपने मुद्दों को हल करने के लिए छठ पूजा का व्रत रखा था। एक अन्य मान्यता के अनुसार कर्ण, जो भगवान सूर्य और कुंती के पुत्र थे, वे भी छठ पूजा करते थे। कहा जाता है कि उन्होंने महाभारत काल में जल में घंटों खड़े होकर सूर्य देव की उपासना किया करते थे।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है - Importance of Chhath Puja
Importance of Chhath Puja

छठ पूजा के दौरान भक्त अर्घ्य देते हैं और भगवान सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करते हैं कि वे अपना आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके साथ ही अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों की समृद्धि और कल्याण के लिए सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। भगवान सूर्य की पूजा करते समय, भक्त ऋग्वेद के मंत्रों का भी जाप करते हैं।

छठ पूजा के पीछे की कथा।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है - Importance of Chhath Puja
Importance of Chhath Puja

1.राजा प्रियवंद ने पुत्र के प्राण रक्षा के लिए की थी छठ पूजा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियवंद नि:संतान थे, उनको इसकी पीड़ा थी। उन्होंने महर्षि कश्यप से इसके बारे में बात की। तब महर्षि कश्यप ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। उस दौरान यज्ञ में आहुति के लिए बनाई गई खीर राजा प्रियवंद की पत्नी मालिनी को खाने के लिए दी गई। यज्ञ के खीर के सेवन से रानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मृत पैदा हुआ था। राजा प्रियवंद मृत पुत्र के शव को लेकर श्मशान पहुंचे और पुत्र वियोग में अपना प्राण त्याग लगे।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है - Importance of Chhath Puja
Importance of Chhath Puja

उसी वक्त ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं। उन्होंने राजा प्रियवंद से कहा, मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूं, इसलिए मेरा नाम षष्ठी भी है। तुम मेरी पूजा करो और लोगों में इसका प्रचार-प्रसार करो। माता षष्ठी के कहे अनुसार, राजा प्रियवंद ने पुत्र की कामना से माता का व्रत विधि विधान से किया, उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी थी। इसके फलस्वरुप राजा प्रियवद को पुत्र प्राप्त हुआ।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है - Importance of Chhath Puja
Importance of Chhath Puja

2.द्रौपदी ने किया था व्रत

पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, छठ व्रत की शुरूआत द्रौपदी से मानी जाती है। द्रौपदी ने पांडवों के अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य और उनके बेहतर जीवन के लिए छठी मईया का व्रत रखा था। उसके बाद पांडवों को उनका राजपाट वापस मिल गया था।

3.श्रीराम और सीता ने की थी सूर्य उपासना

पौराणिक कथा के अनुसार, लंका के राजा रावण का वध कर अयोध्या आने के बाद भगवान श्रीराम और माता सीता ने रामराज्य की स्थापना के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को उपवास रखा था और सूर्य देव की पूजा अर्चना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है - Importance of Chhath Puja
Importance of Chhath Puja

4.दानवीर कर्ण ने की थी सबसे पहले पूजा

महाभारत के मुताबिक, दानवीर कर्ण सूर्य के पुत्र थे और वो हमेशा सूर्य की पूजा करते थे। इस कथा के अनुसार सबसे पहले कर्ण ने ही सूर्य की उपासना शुरू की थी। वह रोज स्‍नान के बाद नदी में जाकर अर्घ्‍य देते थे।

 

 

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