गोपाष्टमी की पूजा विधि कथा और महत्व – Importance of Gopashtami

भारत में गाय माता के समान है। यह माना जाता है कि सभी देवी, देवता गौ माता के अंदर समाहित रहते है। तो उनकी पूजा करने से (Importance of Gopashtami) सभी का फल मिलता है। गोपाअष्टमी पर्व एवम उपवास इस दिन भगवान कृष्ण एवम गौ माता की पूजा की जाती हैंv हिन्दू धर्म में गाय का स्थान माता के तुल्य माना जाता है, पुराणों ने भी इस बात की पुष्टि की है। भगवान श्री कृष्ण एवम भाई बलराम दोनों का ही बचपन गौकुल में बीता था, जो कि ग्वालो की नगरी थी। ग्वाल जो गाय पालक कहलाते हैं। कृष्ण एवम बलराम को भी गाय की सेवा, रक्षा आदि का प्रशिक्षण दिया गया था। गोपाष्टमी के एक दिन पूर्व इन दोनों ने गाय पालन का पूरा ज्ञान हासिल कर लिया था।

गोपाष्टमी की पूजा विधि कथा और महत्व – Importance of Gopashtami

गोपाष्टमी की पूजा विधि,कथा और महत्व - Importance of Gopashtami
Importance of Gopashtami

गोपाष्टमी कब मनाई जाती है।

यह पूजा एवं उपवास कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन होता है। इस दिन गौ माता की पूजा की जाती है।कहते हैं इस दिन तक श्री कृष्ण एवं बलराम ने गाय पालन की सभी शिक्षा लेकर एक अच्छे वाले बन गए थे।

गोपाष्टमी की कथा

गोपाष्टमी की पूजा विधि,कथा और महत्व - Importance of Gopashtami
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भगवान कृष्ण जब 6 वर्ष के थे, तब उन्होंने माता यशोदा से कहा कि मैय्या अब हम बड़े हो गए हैं, अब से हम गायों को चराएंगे। माता यशोदा ने कहा कि जाकर नंद बाबा से पूछ लो। कृष्ण ने नंदबाबा से गाय चराने को कहा, तो नंदबाबा ने कहा कि अभी तुम छोटे हो, जब बड़े हो जाओगे तब चरा लेना, अभी केवल बछड़े चराओ। तब कृष्णजी ने बछड़ा चराने से मना कर दिया और कहा कि अब मैं केवल गाय चराउंगा। तब नंदबाब ने कहा कि जाओ पंडितजी को बुला लाओ, वे मुहूर्त देखकर बता देंगे कि कब गाय चराना तुम्हारे लिए सही रहेगा।

कृष्णजी भाग-भागकर पंडितजी के पास गए और कहा कि आपको नंदबाबा बुला रहे हैं और गौ चारण के लिए मुहूर्त देखना है, आप आज का मुहूर्त निकाल देना, मैं आपको काफी माखन दूंगा। पंडितजी नंदबाबा के पास गए और पंचांग देखकर बार-बार गिनने लगे। पंडितजी को देख नंदबाबा ने कहा कि आखिर आप बार-बार क्या गिन रहे हैं, तब पंडितजी ने कहा कि आज का ही मुहूर्त निकल रहा है और अगले एक साल तक कोई मुहूर्त है भी नहीं। तब नंदबाबा ने कृष्णजी को गाय चराने के लिए अनुमति दे दी। वह शुभ तिथि कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी, यह तिथि आगे चलकर गोपाष्टमी कहलाई।

गोपाष्टमी पूजा विधि

गोपाष्टमी की पूजा विधि कथा और महत्व - Importance of Gopashtami
Importance of Gopashtami
  • इस दिन गाय की पूजा की जाती हैं। सुबह जल्दी उठकर स्नान करके गाय के चरण स्पर्श किये जाते हैं।
  • गोपाष्टमी की पूजा पुरे रीती रिवाज से पंडित के द्वारा कराई जाती है।
  • सुबह ही गाय और उसके बछड़े को नहलाकर तैयार किया जाता है। उसका श्रृंगार किया जाता हैं, पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं,अन्य आभूषण पहनायें जाते हैं।
  • गाय माता की परिक्रमा भी की जाती हैं. सुबह गायों की परिक्रमा कर उन्हें चराने बाहर ले जाते है।
  • इस दिन ग्वालों को भी दान दिया जाता हैं। कई लोग इन्हें नये कपड़े दे कर तिलक लगाते हैं।
  • शाम को जब गाय घर लौटती है, तब फिर उनकी पूजा की जाती है, उन्हें अच्छा भोजन दिया जाता है. खासतौर पर इस दिन गाय को हरा चारा खिलाया जाता हैं।
  • जिनके घरों में गाय नहीं होती है वे लोग गौ शाला जाकर गाय की पूजा करते है, उन्हें गंगा जल, फूल चढाते है, दिया जलाकर गुड़ खिलाते है।
  • औरतें कृष जी की भी पूजा करती है, गाय को तिलक लगाती है। इस दिन भजन किये जाते हैं। कृष्ण पूजा भी की जाती हैं।
  • गाय को हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता है।
  • कुछ लोग गौशाला में खाना और अन्य समान का दान भी करते है।
  • इस दिन स्कॉन टेम्पल को खूब सजाया जाता हैं. उसमे नाच गाना और भव्य जश्न होता हैं।

गोपाष्टमी पर्व का महत्व

गोपाष्टमी की पूजा विधि कथा और महत्व - Importance of Gopashtami
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हिन्दू संस्कृति में गाय का विशेष स्थान हैं। माँ का दर्जा दिया जाता हैं क्यूंकि जैसे एक माँ का ह्रदय कोमल होता हैं, वैसा ही गाय माता का होता हैं। जैसे एक माँ अपने बच्चो को हर स्थिती में सुख देती हैं, वैसे ही गाय भी मनुष्य जाति को लाभ प्रदान करती हैं। गाय का दूध, गाय का घी, दही, छांछ यहाँ तक की मूत्र भी मनुष्य जाति के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। इसे कर्तव्य माना जाता हैं कि गाय की सुरक्षा एवम पालन किया जाये। गोपाष्टमी हमें इसी बात का संकेत देती हैं कि पुरातन युग में जब स्वयं श्री कृष्ण ने गौ माता की सेवा की थी, तो हम तो कलयुगी मनुष्य हैं। यह त्यौहार हमें बताता हैं कि हम सभी अपने पालन के लिये गाय पर निर्भर करते हैं इसलिए वो हमारे लिए पूज्यनीय हैं. सभी जीव जंतु वातावरण को संतुलित रखने के लिए उत्तरदायी हैं, इस प्रकार सभी एक दुसरे के ऋणी हैं और यह उत्सव हमें इसी बात का संदेश देता हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

गोपाष्टमी को क्या करना चाहिए?

गोपाष्टमी के दिन ग्वालों को दान करना चाहिए। गोपाष्टमी की शाम जब गाय घर लौटती हैं, तब फिर उनकी पूजा की जाती है। खासतौर पर इस दिन गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता है। जिन श्रद्धालुओं के घरों में गाय नहीं हैं वे लोग गौशाला जाकर गाय की पूजा करते हैं।

गोपाष्टमी की पूजा विधि कथा और महत्व - Importance of Gopashtami
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गोपाष्टमी का महत्व क्या है?

हिंदू धर्म में गोपाष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ माता गौ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्त को कष्टों से मुक्ति मिलती है।

गौ माता की पूजा करने से क्या होता है?

गोपाष्टमी की पूजा विधि कथा और महत्व - Importance of Gopashtami
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गौ माता की पूजा करने से क्या लाभ है? गौ माता की पूजा सारे ३३ करोड देवताओं की पूजा के समान है। गौ पुजा करने से आयु, यश, स्वास्थ्य, धन-संपत्ति, घर, जमीन, प्रतिष्ठा, परलोक में सुख इत्यादियों की प्राप्ति होती है। गौ पूजा संतान प्राप्ति के लिए विशेष फलदायक है।

गोपाष्टमी के व्रत में क्या खाना चाहिए?

गोपाष्टमी व्रत आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने और भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए मनाया जाता है। कुछ भक्त केवल दूध पीकर या फल खाकर व्रत का पालन करते हैं। इस दिन तामसिक भोज्य पदार्थ इत्यादि का सेवन वर्जित होता है।

गोपाष्टमी के दिन गाय को क्या खिलाना चाहिए?

इस दिन गाय को अपने हाथों से हरा चारा खिलाना चाहिए और उनके चरण स्पर्श करने चाहिए। संभव हो तो गोपाष्टमी के दिन गाय को चारे के साथ ही गुड़ का भी भोग लगाएं। ऐसे करना शुभ माना गया है और इससे मनुष्य को सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है।

 

 

 

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