जेएनयू के छात्रों पर कैंपस में बैठने पर लगेगा जुर्माना – JNU Students will be Pay Fine

जेएनयू संशोधित एक्ट 2023 के 10 पन्नों में ‘जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियम’ में विभिन्न प्रकार के कृत्यों जैसे विरोध और जालसाजी के लिए दंड और प्रॉक्टोरियल जांच और बयान दर्ज करने की प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है।

JNU Students will be Pay Fine

JNU (जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी) में अब अगर किसी छात्र ने धरना दिया उसे 20 हजार से 30 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा। इसके अलावा कैंपस, हाॅस्टल, क्लासरूम में तोड़फोड़, मारपीट या हिंसा पर दाखिला रद्द हो जाएगा। जेएनयू एक्ट 2023 संशोधित 3 फरवरी से लागू हो चुके हैं। इसमें छह बिंदूओं पर छात्रों के लिए नए नियम निर्धारित किए गए हैं। यह नियम फुल टाइम डिग्री प्रोग्राम के अलावा शॉर्ट टाइम कोर्स वाले सभी छात्रों पर लागू होंगे।

जेएनयू के छात्रों पर कैंपस में बैठने पर लगेगा जुर्माना

जेएनयू के छात्रों पर कैंपस में बैठने पर लगेगा जुर्माना - JNU Students will be Pay Fine
NU Students will be Pay Fine

जेएनयू कैंपस में अक्सर विरोध धरना, प्रदर्शन और मारपीट व हिंसा की घटनाएं होती रहती हैं। इसी कारण विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्ती से निपटने को लेकर जेएनयू एक्ट में संशोधन किया है। यह नए नियम कार्यकारी परिषद द्वारा अनुमोदित किए हैं, जोकि विश्वविद्यालय की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। दस्तावेज में कहा गया है कि नियम विश्वविद्यालय के सभी छात्रों पर लागू होंगे, जिनमें अंशकालिक छात्र भी शामिल हैं, चाहे इन नियमों के शुरू होने से पहले या बाद में प्रवेश दिया गया हो।

अब सीधे पेरेंट्स को जाएगी शिकायत, 17 अपराधों के लिए दंड सूचीबद्ध:

जेएनयू कैंपस में अब कोई भी बबाल किया तो उसकी शिकायत संबंधित छात्र के माता-पिता को भेजी जाएगी। इसका मकसद छात्र की सभी जानकारियां पेरेंट्स को देना है, ताकि वे अपने बच्चे को समझाकर भेजे कि कैंपस में सिर्फ पढ़ाई करनी है।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन 17 अपराधों के लिए दंड सूचीबद्ध किए गए हैं, जिनमें रुकावट, जुआ में लिप्त होना, छात्रावास के कमरों पर अनधिकृत कब्जा, अपमानजनक और अपमानजनक भाषा का उपयोग और जालसाजी करना शामिल है। इनमें यदि कोई छात्र दोषी पाया जाता है तो उसकी शिकायतों की एक प्रति माता-पिता को भेजी जाएगी।

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छात्रों और शिक्षकों के मामले अब शिकायत निवारण समिति देखेगी:

चीफ प्रॉक्टर रजनीश मिश्रा ने बताया कि जेएनयू में पहले से नियमों का उल्लेख था। हालांकि नए नियम प्रॉक्टोरियल जांच के बाद तैयार किए गए हैं। हालांकि प्रॉक्टोरियल जांच के आधार पर पुराने नियमों में बदलाव किया गया है। नए नियमों में हिंसा और जबरदस्ती के सभी कृत्यों जैसे घेराव, धरना-प्रदर्शन या किसी भी भिन्नता के लिए दंड का प्रस्ताव किया है, जो सामान्य शैक्षणिक और प्रशासनिक कामकाज को बाधित करता है।

इसके अलावा कोई भी कार्य जो हिंसा को उकसाता है या उसकी ओर ले जाता हो। नए नियमों में शिक्षकों और छात्रों दोनों से जुड़े मामलों को विश्वविद्यालय, स्कूल और केंद्र स्तर की शिकायत निवारण समिति को भेजा जाएगा। यौन शोषण, छेड़खानी, रैगिंग और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करने वाले मामले चीफ प्रॉक्टर के कार्यालय के दायरे में आते हैं।

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दरअसल, नियमों में कहा कि विश्वविद्यालय में एक प्रॉक्टोरियल प्रणाली है जहाँ अनुशासनहीनता के सभी कृत्यों के बारे में छात्रों से संबंधित मामलों का प्रशासन मुख्य प्रॉक्टर को सौंपा जाता है। उसे और उसे प्रॉक्टर द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।

प्रॉक्टोरियल बोर्ड का आकार सक्षम प्राधिकारी द्वारा तय किया जाता है। शिकायत प्राप्त होने के बाद, मुख्य प्रॉक्टर द्वारा इसकी जांच की जाएगी जो प्रॉक्टोरियल जांच करेगा। इसके बाद, मामले की गहन जांच करने के लिए या तो एक/दो/तीन सदस्य प्रॉक्टोरियल जांच समिति। प्रॉक्टोरियल जांच जेएनयू की आंतरिक जांच है और इसलिए, बोर्ड के सदस्यों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को होने की अनुमति नहीं है।

दोषी पाए जाने पर दाखिला रद्द से लेकर जुर्माना व सेमेस्टर से निष्कासन का प्रावधान:

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नए नियमों के तहत दोषी पाए जाने वाले छात्रों का दाखिला रद्द से लेकर जुर्माना व सेमेस्टर से निष्कासित का प्रावधान किया गया है। इसके तहत प्रवेश रद्द करना या डिग्री वापस लेना या एक निर्दिष्ट अवधि के लिए पंजीकरण से इनकार करना, चार सेमेस्टर तक का निष्कासन, किसी भी हिस्से या जेएनयू कैंपस में आने पर रोक लगाना शामिल है। 20 हजार रुपये तक का जुर्माना शामिल है। पुराने नियमों के अनुसार, छात्रावास से बेदखली के एक या दो सेमेस्टर तक रोक लगाई जाती थी।

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-यदि मामला अदालत तक जाता है तो फिर चीफ प्रॉक्टर ऑफिस अदालत के आदेश और निर्देश के अनुसार कार्रवाई करेगा।
-भूख हड़ताल, धरना, समूह सौदेबाजी और किसी भी शैक्षणिक या प्रशासनिक परिसर के प्रवेश या निकास को अवरुद्ध करके या विश्वविद्यालय समुदाय के किसी भी सदस्य के आंदोलनों को बाधित करने पर भी अब 20 हजार रुपए के जुर्माना देना होगा। जबकि पुराने नियमों के अनुसार, घेराव, प्रदर्शन और यौन उत्पीड़न के लिए प्रस्तावित दंड प्रवेश रद्द करना, निष्कासन और निष्कासन था।

 

 

 

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