नीम के पेड़ (Neem Tree) से शायद ही कोई अपरिचित हो। नीम को उसके कड़वेपन के कारण जाना जाता है। तो चलिए आज हम Neem Benefits And Uses – नीम के फायदे के बारे में जानते है। सभी लोगों को पता होगा कि कड़वा होने के बाद भी नीम स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक लाभदायक होता है, लेकिन नीम के फायदे क्या-क्या हैं या नीम का उपय़ोग किन-किन रोगों में कर सकते हैं, इस बात की पूरी जानकारी आपको नहीं होगी। नीम के गुणों के कारण इसे धरती का कल्प वृक्ष भी कहा जाता है।
Neem Benefits And Uses
नीम के पत्ते का काढ़ा घावों को धोने में कार्बोलिक साबुन से भी अधिक उपयोगी है। कुष्ठ आदि चर्म रोगों पर भी नीम बहुत लाभदायक है। इसके रेशे-रेशे में खून को साफ करने के गुण भरे पड़े हैं। नीम का तेल (Neem ka Tel) टीबी या क्षय रोग को जन्म देने वाले जीवाणु की तीन जातियों का नाश करने वाले गुणों से युक्त पाया गया है। नीम की पत्तियों का गाढ़ा लेप कैंसर की बढ़ाने वाली कोशिकाओं की बढ़ने की क्षमता को कम करता है। आइए जानते हैं कि आप किन-किन रोगों में नीम का उपयोग कर सकते है और नीम के नुकसान (Neem ke nuksan) क्या होते हैं।
नीम क्या है? (What is Neem?)
नीम (Neem Ka Ped) भारतीय मूल का एक पूर्ण पतझड़ वृक्ष है जो 15-20 मीटर (लगभग 50-65 फुट) की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। कभी-कभी 35-40 मीटर (115-131 फुट) तक भी ऊंचा हो सकता है। इसकी शाखाएं यानी डालियाँ काफी फैली हुई होती हैं। तना सीधा और छोटा होता है और व्यास में 1.2 मीटर तक पहुँच सकता है।
हालांकि बहुत से इसकी पत्तियों को इसकी कड़वाहट के कारण नहीं पसंद करते हैं। मगर आयुर्वेद में इसके चौंकाने वाले फायदे बताए गए हैं। रोजाना सुबह खाली पेट नीम की पत्तियों खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है साथ ही शारीरिक विकार भी दूर होते हैं।
नीम के 6 फायदे – Benefits Of Neem
1.एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल
नीम की पत्तियों का उपयोग फंगल और बैक्टीरिया के इन्फेक्शन में भी किया जाता है। इसका उपयोग वार्ट्स के साथ-साथ चिकन पॉक्स के इलाज के लिए भी होता है। नीम के पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाते हैं। इसके अलावा मरीज़ को नीम के पानी से नहलाया जाता है। नीम से फुट फंगी का इलाज भी संभव है। नीम का पाउडर, नीम का तेल, नीम की पत्तियों, नीम की चाय और नीम से बने हर पदार्थ में नीम के एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल का असर होता है। यह हमारे शरीर के अंदरूनी और बाहरी दोनों हिस्सों को सुधारने में अहम भूमिका निभाते हैं।
2.दाँत की मैल – Dental plaque
प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि नीम के पत्तों के अर्क को 6 सप्ताह तक रोजाना दो बार दांतों और मसूड़ों पर लगाने से प्लाक बनना कम हो सकता है। यह मुंह में बैक्टीरिया की संख्या को भी कम कर सकता है जो प्लाक का कारण बन सकता है। हालांकि, 2 सप्ताह के लिए नीम के अर्क युक्त माउथ रिंस का उपयोग करने से पट्टिका या मसूड़े की सूजन कम नहीं होती है। नीम से दांतों को कितना फायदा मिलता है आप इस बारे में अपने बड़ों से जान सकते हैं। भारत आज भी नीम की टहनी से दातुन करना आम बात है। मसूड़े की बीमारी का एक हल्का रूप (मसूड़े की सूजन)। नीम के पत्तों के रस से युक्त जेल को दांतों पर लगाने या नीम के माउथवॉश का उपयोग करने से कुछ लोगों में मसूड़े की सूजन कम हो सकती है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि नीम क्लोरहेक्सिडिन माउथवॉश या जेल के उपयोग के समान सहायक है या नहीं।
3.नीम है मुहाँसों का इलाज
नीम का पेस्ट चेहरे की स्किन पर जमने वाले तेल और बैक्टीरिया को खत्म कर देता है। नीम का एंटीबैक्टीरियल स्वभाव मुहांसों को आने वाले समय में रोकने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट स्कारिंग को कम करने में सहायक होते हैं। इससे स्किन तरो-ताजा और साफ रहती है। नीम के पेस्ट में एस्ट्रिजेंट प्रॉपर्टीज भी होती हैं, जिससे चेहरे की झुर्रियां और उम्र बढ़ने के संकेत कम दिखते हैं। नीम के तेल में फैटी एसिड और विटामिन ई की मौजूदगी के कारण ऐसा होता है।
4.मधुमेह के लक्षणों को कम करने में नीम करे मदद
नीम पर किए कुछ अध्ययनों में पाया गया कि इसके पत्तों में खास प्रकार के तत्व पाए जाते हैं, जो इंसुलिन बनने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं। हालांकि, अभी तक इन अध्ययनों की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पाई है।
नीम से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ पूरी तरह से अध्ययनों पर ही आधारित हैं, जिनमें से कुछ अध्ययनों को चूहों व अन्य जानवरों पर ही किया गया है। हर व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति के अनुसार उसपर नीम का प्रभाव अलग-अलग हो सकता है।
5.बालों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है Promotes hair health
नीम के बीज के अर्क में अज़ादिराच्टिन (azadirachtin) होता है, एक सक्रिय यौगिक जो परजीवियों से लड़ सकता है जो बालों और त्वचा को प्रभावित करते हैं, जैसे कि जूँ। अज़ादिराच्टिन परजीवी विकास को बाधित करके और प्रजनन और अन्य सेलुलर प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करके काम करता है, जिससे सर में जूं और अन्य परजीवियों से छुटकारा मिलता है।
भारत में अगर सर में जूं या अन्य कोई परजीवी से छुटकारा पाने के लिए नीम के तेल का ख़ासा इस्तेमाल किया जाता है और बच्चों के लिए नीम के पानी से सर धोने का घरेलू उपाय को अपनाया जाता है। नीम के तेल में पाया जाने वाला एक यौगिक नीम का अर्क और निम्बिडिन, इसके विरोधी भड़काऊ और रोगाणुरोधी गुणों के कारण रूसी का भी इलाज कर सकता है। डैंड्रफ और स्कैल्प में जलन स्कैल्प पर फंगल बिल्डअप के कारण हो सकती है।
6.सांस संबंधी समस्याओं के लिए
सांस से संबंधित समस्याओं के लिए भी नीम उपयोगी हो सकता है। इससे संबंधित एक रिसर्च में इस बात की जानकारी मिलती है कि नीम के पत्तों में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद हैं। इसके ये सभी गुण पल्मोनरी इन्फ्लेमेशन (pulmonary inflammation- रोगों का समूह जो फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है) के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है। वहीं, नीम का एंटी-एलर्जिक गुण अस्थमा की समस्या के लिए उपयोगी हो सकता है। ऐसे में दमा की समस्या के लिए योग के साथ-साथ नीम का उपयोग लाभकारी साबित हो सकता है। दमा के लिए नीम एक आयुर्वेदिक औषधि की तरह काम कर सकता है।
नीम के पत्ते कौन कौन सी बीमारी में काम आते हैं?
नीम के पत्तों का उपयोग कुष्ठ रोग के लिए किया जाता है। इसके इस्तेमाल से नेत्र विकार, नकसीर, आंतों के कीड़े, पेट की ख़राबी, भूख न लगना, त्वचा के अल्सर, हृदय और रक्त वाहिकाओं के रोगों (हृदय रोग), बुखार, मधुमेह, मसूड़ों की बीमारी (मसूड़े की सूजन) और जिगर के रोग ठीक हो जाते हैं।
नीम में कौन कौन से गुण होते हैं?
नीम के फायदे (Benefits Of Neem)
जल जाने पर अगर आप खाना बनाते वक्त या किसी दूसरे कारण से अपना हाथ जला बैठी हैं तो तुरंत उस जगह पर नीम की पत्तियों को पीसकर लगा लें
कान दर्द में अगर आपके कान में दर्द रहता है तो नीम का तेल इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद रहेगा
दांतों के लिए
बालों के लिए भी है फायदेमंद
फोड़े और दूसरे जख्मों पर लगाने के लिए
नीम में किसका वास होता है?
नीम की लकड़ी से हवन करने से शनि की शांति होती है और इसके पत्तों को जल में डालकर स्नान करने से केतु संबंधित समस्याएं दूर होती हैं। भारत में कई स्थान पर नीम में दुर्गा जी के रूप का निवास माना जाता है।
Read More:
मुल्तानी मिट्टी के फायदे और उपयोग – Benefits of Multani Mitti
You must be logged in to post a comment.