Why is Water Offered to Peepal Tree?
हिन्दू धर्म में पीपल को बेहद शुभ वृक्ष माना गया है। किंतु पीपल को जल क्यों चढ़ाया जाता है इसके पीछे भी कई मान्यताये है। पीपल की पूजा को शास्त्रों में बहुत ही चमत्कारी परिणाम देने वाला बताया गया है। पीपल वृक्ष की शनिवार के दिन विशेष पूजा करने से व्यक्ति के सभी संकट दूर होने के साथ धन, समृद्धि, यश, कीर्ति आदि की भी प्राप्ति भी होने लगती है। लोगों का मानना है कि पीपल के वृक्ष में शनिदेव का वास होता है।
पीपल को जल चढ़ाने के पीछे क्या मान्यता है?
हिन्दू धर्म में पीपल को बेहद शुभ वृक्ष माना गया है। पीपल की पूजा को शास्त्रों में बहुत ही चमत्कारी परिणाम देने वाला बताया गया है। पीपल वृक्ष की शनिवार के दिन विशेष पूजा करने से व्यक्ति के सभी संकट दूर होने के साथ धन, समृद्धि, यश, कीर्ति आदि की भी प्राप्ति भी होने लगती है। लोगों का मानना है कि पीपल के वृक्ष में शनिदेव का वास होता है। इसलिए लोग कई बार पीपल के वृक्ष में जल देते हैं। पीपल में जल देने के पीछे एक मान्यता यह है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। साथ ही आरोग्यता का वरदान भी मिलता है। अगर को प्रतिदिन या फिर शनिवार के दिन पीपल वृक्ष का दिन में इन दो समय इस विधि से पूजन करता है तो उसके पूर्वज पित्र प्रसन्न व तृप्त होकर सभी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं। वहीं एक दिन ऐसा भी है कि जिस दिन इस पेड़ पर जल चढ़ाने की आपने गलती कर दी तो समझिए आर्थिक रूप से कंगाली तय है।
पीपल को जल क्यों चढ़ाया जाता है – Why is Water Offered to Peepal Tree?
क्या पीपल के पेड़ में हरि का वास होता है?
हिन्दू धर्म में पीपल का पेड़ अधिक पूजनीय माना गया है, इस पेड़ पर देवताओं का वास माना गया है। पीपल को विश्ववृक्ष, चैत्य वृक्ष और वासुदेव भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत गीता में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि ‘वृक्षों में मैं पीपल हूं’। शास्त्रानुसार पीपल की जड़ में ब्रह्मा, तने या मध्य भाग में भगवान विष्णु और पीपल के अग्र भाग में भगवान शिव स्वयं वास करते हैं। इसके फलों में सभी देवताओं का वास होता माना गया है। अथर्ववेद और छान्दोग्योपनिषद् में पीपल के पेड़ के नीचे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है।
पीपल में जल देने की विधि
हमेशा पीपल के वृक्ष में पानी डालने के बाद इसकी परिक्रमा करनी चाहिए। क्योंकि पानी डालने के तुरंत बाद पीपल अधिक आक्सीजन देता है, साथ ही कुएं के पास पीपल का उगना आज भी शुभ माना जाता है। पीपल पूर्णिमा का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन पीपल की पूजा करने से ग्रह और पितृ दोष का निवारण होता है।
पीपल में जल देने का समय
पीपल के वृक्ष पर जल सूर्योदय के बाद ही चढ़ाना चाहीए। जिससे आपके ऊपर माता लक्ष्मी की कृपा द्रष्टि सदा बनी रहे। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करता है उसकी सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साथ ही शत्रुओं का नाश भी होता है।
पीपल में जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए
सूर्योदय से पहले पीपल की पूजा नहीं करनी चाहिए और रविवार के दिन पीपल को जल नहीं चढ़ाना चाहिए और न ही इसकी पूजा करनी चाहिए।
पीपल की पूजा करने से क्या फल मिलता है?
पीपल की पूजा करने से पाप कर्मों, कष्टों और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है, माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं और घर में बरकत बनी रहती है। शनिवार के दिन सुबह पीपल को जल चढ़ाने और शाम को सरसों के तेल का दीपक लगाएं। कहते हैं इससे शनि की महादशी से मुक्ति मिलती है।
पीपल के पेड़ में दिया कब जलाना चाहिए?
मान्यता है कि प्रत्येक अमावस्या को रात्रि में पीपल के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं। वहीं अगर नियमित रूप से 41 दिनों तक पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाया जाए तो सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
पीपल के पेड़ में लक्ष्मी का वास कब होता है?
शास्त्रों के मुताबिक पीपल के वृक्ष में दिन के समय लक्ष्मी का वास होता है। जबकि पीपल में रात के समय लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी का वास होता है। रविवार के दिन पीपल में किसी देवी-देवता का वास नहीं होता है इसलिए देवी लक्ष्मी की बहन ही दिन रात पीपल में वास करती हैं। इस दिन पीपल की पूजा से सुख समृद्धि की हानि होती है।
शनिदेव पीपल के पेड़ से क्यों डरते हैं?
शनिदेव दुखी होकर भगवान शिव को पुकारने लगे। भगवान शिव ने आकर पिप्पलाद का क्रोध शांत किया और शनि की रक्षा की। तभी से शनि पिप्पलाद से भय खाने लगे। पिप्लाद का जन्म पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ था और पीपल के पत्तों को खाकर इन्होंने तप किया था इसलिए माना जाता है कि पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि का अशुभ प्रभाव दूर होता है।
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