भगवान विष्णु का पाँचवा अवतार कौन है – Avatar of Lord Vishnu

भगवान विष्णु के कई अवतारों के बारे में तो आप जानते ही होंगे। क्या आप जानते है की भगवान विष्णु का पाँचवा अवतार कौन है (Avatar of Lord Vishnu) और उन्होंने यह अवतार क्यों लिया था। ये सभी जानकारी हमारे इस आर्टिकल में आपको मिलेगी तो बने रहिये हमारे इस आर्टिकल के अंत तक। चलिए जानते है भगवान विष्णु के पाँचवे अवतार के बारे में विस्तार से।

भगवान विष्णु का पाँचवा अवतार कौन है – Avatar of Lord Vishnu

 भगवान विष्णु का पाँचवा अवतार कौन है - Avatar of Lord Vishnu
Avatar of Lord Vishnu

 वामन अवतार भगवान विष्णु का पाचवा अवतार है। भगवान की लीला अनंत है और उसी में से एक वामन अवतार है।

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन माता अदिति के गर्भ से प्रकट हो अवतार लेते हैं तथा ब्रह्मचारी ब्राह्मण का रूप धारण करते हैं।

महर्षि कश्यप ऋषियों के साथ उनका उपनयन संस्कार करते हैं। वामन बटुक को महर्षि पुलह ने यज्ञोपवीत, अगस्त्य ने मृगचर्म, मरीचि ने पलाश दण्ड, आंगिरस ने वस्त्र, सूर्य ने छत्र, भृगु ने खड़ाऊं, गुरु देव जनेऊ तथा कमण्डलु, अदिति ने कोपीन, सरस्वती ने रुद्राक्ष माला तथा कुबेर ने भिक्षा पात्र प्रदान किए।

भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा अवतार:

 भगवान विष्णु का पाँचवा अवतार कौन है - Avatar of Lord Vishnu
Avatar of Lord Vishnu

इसके विषय में श्रीमद्भगवदपुराण में एक कथा है वामन अवतार।

कथानुसार देव और दैत्यों के युद्ध में दैत्य पराजित होने लगते हैं। पराजित दैत्य मृत एवं आहतों को लेकर अस्ताचल चले जाते हैं। दूसरी ओर दैत्यराज बलि इंद्र के वज्र से मृत हो जाते हैं तब दैत्यगुरु शुक्राचार्य अपनी मृत संजीवनी विद्या से बलि और दूसरे दैत्य को भी जीवित एवं स्वस्थ कर देते हैं। राजा बलि के लिए शुक्राचार्यजी एक यज्ञ का आयोजन करते हैं।

अग्नि से दिव्य रथ, बाण, अभेद्य कवच पाते हैं इससे असुरों की शक्ति में वृद्धि हो जाती है और असुर सेना अमरावती पर आक्रमण करने लगती है।

इंद्र को राजा बलि की इच्छा का ज्ञान होता है कि राजा बलि इस सौ यज्ञ पूरे करने के बाद स्वर्ग को प्राप्त करने में सक्षम हो जाएंगे, तब इंद्र भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं।

भगवान विष्णु उनकी सहायता करने का आश्वासन देते हैं और भगवान विष्णु वामन रुप में माता अदिति के गर्भ से उत्पन्न होने का वचन देते हैं। दैत्यराज बलि द्वारा देवों के पराभव के बाद कश्यपजी के कहने से माता अदिति पयोव्रत का अनुष्ठान करती हैं जो पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है ।

श्री हरि विष्णु ने मांगी तीन पग भूमि:

 भगवान विष्णु का पाँचवा अवतार कौन है - Avatar of Lord Vishnu
Avatar of Lord Vishnu

भगवान वामन पिता से आज्ञा लेकर राजा बलि के पास जाते हैं। उस समय राजा बलि नर्मदा के उत्तर-तट पर अंतिम यज्ञ कर रहे होते हैं ।

वामन अवतारी श्रीहरि, राजा बलि के यहां भिक्षा मांगने पहुंच जाते हैं। ब्राह्मण बने श्री विष्णु भिक्षा में तीन पग भूमि मांगते हैं। राजा बलि दैत्यगुरु शुक्राचार्य के मना करने पर भी अपने वचन पर अडिग रहते हुए, श्रीविष्णु को तीन पग भूमि दान में देने का वचन कर देते हैं।

वामन रुप में भगवान एक पग में स्वर्गादि उर्ध्व लोकों को ओर दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लेते हैं। अब तीसरा पीजी रखने को कोई स्थान नहीं रह जाता है बलि के सामने संकट उत्पन्न हो गया। ऐसे मे राजा बलि यदि अपना वचन नहीं निभाए तो अधर्म होगा इसलिए बलि अपना सिर भगवान के आगे कर देता है और कहता है तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए। वामन भगवान ने ठीक वैसा ही करते हैं और बलि को पातललोक में रहने का आदेश करते हैं।

बलि के द्वारा वचनपालन करने पर, भगवान श्रीविष्णु अत्यन्त प्रसन्न होते हैं और दैत्यराज बलि को वर् मांगने को कहते हैं। इसके बदले में बलि रात-दिन भगवान को अपने सामने रहने का वचन मांग लेता है। श्रीविष्णु को अपना वचन का पालन करते हुए, पातललोक में राजा बलि का द्वारपाल बनना स्वीकार करते हैं।

 

 

 

Read more:-

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के नियम – Benefits of Offering Belpatra on Shivling

 भगवान विष्णु का पाँचवा अवतार कौन है - Avatar of Lord Vishnu
Benefits of Offering Belpatra on Shivling

 

Comments are closed.

Scroll to Top