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रुकैया बेगम का इतिहास – History of Rukaiya Begum

रुकैया बेगम के बारे अपने जरूर सुना होगा की वह अकबर की सबसे अच्छी दोस्त थी और सबसे पहली बीवी थी। लेकिन रकैया बेगम का असली इतिहास क्या था कहा रहती थी , कैसे रहती थी उसकी पूरी जानकार आज हम देंगे आपको। तो बने रहिये हमारे साथ इस आर्टिकल में अंत तक।

 रुकैया बेगम का इतिहास - History of Rukaiya Begum
History of Rukaiya Begum

रुकैया बेगम का इतिहास

 

इतिहास के पन्नो में आपने अकबर की पहली पत्नी रुकैया सुल्ताना का नाम तो जरूर सुना होगा जो कि आगरा में भी रही थी .लेकिन बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि रुकैया बेगम सुल्ताना आगरा में किस जगह रही थी? आगरा में रुकैया बेगम सुल्ताना का मकबरा है और यह बोदला में सैकड़ों सालों से उसी बुलंदी के साथ खड़ा है . यहां के लोग इस मकबरे को गुम्मद के नाम से जानते हैं.

 

 History of Rukaiya Begum

 रुकैया बेगम का इतिहास - History of Rukaiya Begum
History of Rukaiya Begum

आगरा के मशहूर इतिहासकार राजकिशोर शर्मा बताते हैं कि अकबर की पहली पत्नी रुकैया बेगम सुल्ताना का जन्म 1542 में हुआ था. 9 साल की उम्र में ही रुकैया बेगम सुल्ताना की मंगनी अकबर के साथ हो गई थी और 14 वर्ष की आयु में इनका निकाह अकबर के साथ हुआ था. बताया जाता है कि रुकैया बेगम सुल्ताना और अकबर साथ-साथ बचपन से ही एक साथ खेल कर बड़े हुए थे. बेगम सुल्ताना अकबर के पिता हुमायू के सबसे छोटे भाई हिंडाल मिर्जा की बेटी थी. यानी कि अकबर की वे चचेरी बहन थी . जिनसे उन्होंने 14 वर्ष की उम्र में निकाह किया था. इतिहासकार बताते हैं कि रुकैया बेगम सुल्ताना की कोई भी औलाद नहीं हुई थी, उन्होंने शाहजहाँ को गोद लिया था .

केसा नाता था आगरा से रुकैया बेगम का ?

आगरा में आज भी बेहद कम लोगों को जानकारी है कि मुगल बादशाह अकबर की 7 पत्नियों में से सबसे पहली पत्नी रुकैया बेगम सुल्ताना का मकबरा आगरा में स्थित है . यह मक़बरा आगरा के बोदला में स्थित है और यहां के स्थानीय निवासी इसे गुम्मद के नाम से जानते हैं . स्थानीय निवासी कहते हैं कि हम कई सालों से इसे ऐसा ही देख रहे हैं . लेकिन समय की मार से ये धीरे-धीरे टूटता जा रहा है.

यह मकबरा ताजमहल से तीन सदी पुराना है, लेकिन इसका गुंबद आज भी सही सलामत है . जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इमारत कितनी बुलंद रही होगी. इसका गुम्मद ताजमहल के गुंबद की तरह दिखता है . बस देख रेख ना होने के चलते उसके ऊपर पेड़ उग आए हैं . यह चूना व लाहौरी ईट का बना हुआ है . पहले यहां के लोग इस मकबरे के अंदर निकाह किया करते थे. धार्मिक मान्यताओं के आधार पर लोग इसमें चिरागी भी जलाते थे . त्योहारों पर लोग इसमें चिराग रख दिया करते थे।

रुकैया बेगम का इतिहास – History of Rukaiya Begum

 रुकैया बेगम का इतिहास - History of Rukaiya Begum
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रुकैया के मकबरे की क्या हालत है अभी ?

धीरे-धीरे समय के साथ यह मकबरा अब जर्जर और खंडहर नुमा होता जा रहा है . साफ सफाई ना होने की वजह से अब यह अगल बगल से टूट चुका है .इसके गुम्मद के ऊपर पेड़ उग आए हैं . लेकिन आज भी इसका गुम्मद सही सलामत है . इस गुंबद के नीचे अब प्रेम सिंह और उनकी पत्नी मीरा देवी अपने दो बच्चों के साथ आसरा लिए हुए हैं . प्रेम सिंह की पत्नी मीरा देवी बताती हैं कि उनके पास कोई भी रहने का आसरा नहीं है .आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है ,जिस वजह से यहां के स्थानीय लोगों के सहयोग से इस खंडहर हो चुके मकबरे में 12 सालों से रहती चली आ रहीं हैं. आस-पास का मकबरा छतिग्रस्त हो चुका है लेकिन ऊपर से सलामत है. जिस वजह से वह इसके नीचे रह पा रहीं हैं.

मुगलिया सलतलत की क्या हालत है अभी ?

वैसे तो आगरा कला और साहित्य की नगरी है .मुगलों ने काफी लंबे समय तक आगरा पर शासन किया था और कई सारी खूबसूरत निशानी आगरा के नाम की हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इन सभी इमारतों की देखभाल करता है ,लेकिन यह मुगलिया इमारत ए एस आई की निगाहों से दूर है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का इस ओर कोई ध्यान नहीं है और उनकी आंखों के सामने यह धरोहर खंडहर में तब्दील होती जा रही है, जो कि आने वाले सालों में हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दफन होकर रह जाएगी . इसी आश में कि कोई सरकार इसकी तरफ एक आंख भर देखें और इसका जीर्णोद्धार कराएं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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