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भारत में ताज का शासन – The Crown Rule in India.

आज इस आर्टिकल में हम crown rule  से संबंधित जानकारी देने वाले हैं बस आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें । हमारे इस आर्टिकल को पढ़कर आपके मन में crown rule  संबंधित जितने भी प्रश्न होंगे आपको उन सारे प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंग।

भारत में ताज का शासन – The Crown Rule in India.

भारत में ताज का शासन - The Crown Rule in India.
The Crown Rule in India

भारत में ताज का शासन 
सन् 1857 में सिपाही विद्रोह के बाद भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया गया, क्योंकि तत्कालीन समय में कंपनी भारतीय रियासत के समक्ष कमजोर पड़ रही थी। अत: भारत पर शासन को बनाए रखने के लिए 1858 में में इंग्लैंड की संसद संपूर्ण शासन व्यवस्था को अपने हाथ में ले लिया, जिसे ताज का शासन (crown rule) नाम से जाना जाता है। यह शासन 1947 तक चला जिसमें अनेक अधिनियम पारित किए गए, जिनका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

भारत में ताज का शासन – The Crown Rule in India.

भारत में ताज का शासन - The Crown Rule in India.
The crown Rule in India

भारत सरकार अधिनियम 1858 के साथ ही भारत में ताज का शासन प्रारम्भ हुआ। इसका आगमन 1857 के विद्रोह के बाद हुआ। इसमें कंपनी शासन के विसंगतियों को दूर करके भारत के शासन को अच्छा बनाने का कार्य किया गया। इसके तहत ईस्ट इंडिया कंपनी को हटाकर सत्ता एवं राजस्व संबंधी शक्तियां ब्रिटिश राजशाही को दे दिया गया। इस अधिनियम की विशेषताएं इस प्रकार थी-

इसके तहत भारत का शासन रानी विक्टोरिया के हाथ में चला गया और गवर्नर जनरल को वायसराय कहा जाने लगा। भारत का प्रथम वायसराय लॉर्ड कैनिंग बना।

इस अधिनियम ने द्वैध प्रणाली को समाप्त कर दिया।

इसके बाद भारत राज्य सचिव बनाया गया जो संपूर्ण नियंत्रण रखता था और वह ब्रिटिश संसद के प्रति उत्तरदाई था।

इस सचिव की सहायता हेतु 15 सदस्यीय परिषद का गठन हुआ।

इस कानून के तहत भारत सचिव की परिषद का गठन किया गया, जो एक निगमित निकाय थी और जिसे भारत और इंग्लैंड में मुकदमा करने का अधिकार था।

 

 

 

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